Rajasthan assembly elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव जल्द होने हैं। भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही है। बीजेपी ये भी सोचकर चल रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी का फायदा मिल सकता है। लेकिन इस बार पार्टी की ओर से कोई नाम सीएम के तौर पर आगे नहीं किया गया है। जिसको लेकर संशय दिख रहा है। अभी तक 30 साल में यहां कोई पार्टी रिपीट नहीं हुई है। माना जा रहा है कि दो बार सीएम रहीं वसुंधरा राजे को भी पार्टी के लिए साइडलाइन करना आसान नहीं है। उनके कई समर्थक समय-समय पर आवाज उठा चुके हैं कि सीएम के तौर पर उनका नाम आगे किया जाए। लेकिन अभी प्रदेश में 8 बड़े नेता हैं। आलाकमान को डर है कि सीएम फेस आगे किए जाने पर कलहबाजी बढ़ सकती है। जो पार्टी के लिए नुकसान पहुंचाएगी। राजस्थान के साथ छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी जीत के लिए हाथ-पैर मार रही है। प्रदेश के आठ नेताओं के बारे में आगे विस्तार से बता रहे हैं।
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राजस्थान बीजेपी में 8 बड़े नेता, जिनसे है अपेक्षा
- बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की कमान संभाल चुकी हैं। 5 बार एमएलए और 5 बार एमपी रहीं वसुंधरा केंद्र में भी कई पदों पर जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। वे सबसे मजूबत सीएम की दावेदार मानी जा रही हैं। प्रदेश में उनकी अच्छी पकड़ है और वे लगातार विपक्ष में रहते हुए भी सक्रिय रही हैं। उनके खेमे में कई विधायक और पूर्व विधायक शामिल हैं, जो कई सीटों पर अच्छे समर्थक रखती हैं। पार्टी हाईकमान को लगता है कि उनकी अनदेखी पार्टी के लिए कितना भारी पड़ सकती है। उनको पता है कि कैसे प्रदेश की लहर को अपने पक्ष में करना है। लेकिन बीजेपी का विरोधी खेमा उनके रास्ते का रोड़ा है। कांग्रेस के नेता सचिन पायलट भी लगातार उन पर हावी रहे हैं। 8 मार्च 1953 को जन्मी वसुंधरा जीवन के 70 बसंत देख चुकी हैं।
- दूसरे नंबर पर हैं राजस्थान में विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़। जो 7 बार विधायक रहे हैं। वे चूरू से जीते हैं, एडवोकेट होते हुए कई बार जनहित मामले दायर कर सरकार को घेर चुके हैं। बताया जा रहा है कि भैरोंसिंह राठौड़ के बाद बीजेपी में उनको राजपूत लीडर के तौर पर देखा जा रहा है। राठौड़ को मंजा हुआ नेता माना जाता है, जो कम बोलना पसंद करते हैं। कई विभागों का जिम्मा संभाल चुके राठौड़ सरकार के खिलाफ हर आंदोलन में हिस्सा लेते रहे हैं। यहां तक कि वे विधानसभा और फील्ड दोनों जगह एक्टिव रहते हैं। उनको भैरोंसिंह शेखावत का नजदीकी माना जाता था। बाद में वे राजे के करीबी रहे, जो कई सीटों पर खेल कर सकते हैं। उनका विरोधी खेमा भी एक्टिव है।
- इसके बाद आता है केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नंबर। ये भी राजपूत समुदाय से आते हैं। जोधपुर के शेखावटी परिवार से आने वाले गजेंद्र सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को मात दे चुके हैं। वे गहलोत पर निशाना साधते रहते हैं। यहां तक कि जोधपुर में लगातार सक्रिय हैं। सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। केंद्रीय कैबिनेट में होने के कारण बीजेपी के बड़े नेताओं से उनके सीधे रिश्ते हैं। राजस्थान का फीडबैक भी वे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह और पीएम मोदी को देते रहते हैं। उनके ऊपर कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश के आरोप भी लग चुके हैं।
- विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया भी बड़ा चेहरा हैं। जो 3 साल 7 महीने तक संगठन को संभाल चुके हैं। जाट नेता होने के साथ-साथ बिजनेसमैन भी है। राजस्थान में पार्टी को उन्होंने काफी मजबूत किया है। वे जयपुर के आमेर से विधायक हैं। आरएसएस और अमित शाह से भी उनके रिश्ते अच्छे हैं। पीएम मोदी भी उनकी तारीफ कर चुके हैं। राजस्थान में सरकार के खिलाफ कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। यहां तक कि एक बार पुलिस से झड़प के कारण पैर भी फ्रेक्चर हो गया था। रीट पेपर लीक मामले को उन्होंने काफी उठाया था। इनकी वसुंधरा राजे से नहीं बनती है। कई अन्य नेता भी इनके खिलाफ माने जाते हैं।
- केंद्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी भाजपा के बड़े नेता माने जाते हैं। मौजूदा समय में ये राजस्थान के नहरी क्षेत्र बीकानेर से लोकसभा की सीट जीतकर संसद पहुंचे हैं। ये पूर्व आइएएस अफसर रहे हैं, दलित समाज से होने के कारण इनको सीएम फेस के तौर पर भी देखा जा रहा है। साइकिल से संसद पहुंचकर ये देशभर में चर्चित हो चुके हैं। पीएम मोदी और अमित शाह से इनके रिश्ते अच्छे हैं। लेकिन इनको भी एंटी वसुंधरा माना जाता है। इनकी सतीश पूनिया से पटरी पर बैठती है।
- बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ीलाल मीणा का कद भी बीजेपी में बड़ा माना जाता है। ये पेशे से डॉक्टर भी हैं, इनकी पत्नी गोलमा देवी भी मिनिस्टर रह चुकी हैं। लेकिन मीणा अब 70 साल के हो चुके हैं, जिनकी पहचान आंदोलनकारी नेता की रही है। 3 नवंबर 1951 को जन्मे मीणा पेपर लीक, महंगाई और दूसरे मुद्दों पर सरकार पर हमलावर रहे हैं। मीणा की दूसरी समुदायों में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। भीड़ जुटाने में भी उनका खास योगदान माना जाता है, जो राजस्थान की रैलियों में दिखाई देती है। किसानों के ऊपर भी इनकी पकड़ ठीक है। लेकिन मीणा को वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया समेत कई नेताओं का एंटी माना जाता है।
- ओम बिरला लोकसभा में स्पीकर हैं, जो बार एमपी बन चुके हैं। ये कोटा-बूंदी से जीतते हैं, यहीं के रहने वाले हैं। तीन बार एमएलए और एक बार सीपीएस रह चुके हैं। वैश्य वर्ग से होने के कारण इनकी व्यापारियों में अच्छी पकड़ है। माना जाता है कि ये सभी को साधकर चलते हैं। इनकी पीएम से लेकर नड्डा, शाह आदि बड़े नेताओं से अच्छी बनती है। ये किसानों के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरते रहे हैं। लगातार अपने क्षेत्र में एक्टिव रहते हैं। जिसके कारण इनको सीएम की दौड़ में माना जाता है। माना जाता है कि वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया जैसे नेताओं से बिरला की दूरी सदा से रही है। विरोधी खेमा भी एक्टिव है।
- केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी राजस्थान की राजनीति में बड़ा नाम हैं। जिसके कारण वे सीएम फेस के दावेदारों में माने जाते हैं। वे ब्राह्मण नेता हैं, जो जोधपुर से आते हैं। राजस्थान को मंत्री रहते हुए उन्होंने ही सबसे अधिक रेल बजट मुहैया करवाया है। वे 1994 में ओडिशा में आईएएस अफसर रहे हैं। जिस कारण इस बार राज्यसभा में ओडिशा से चुनकर आए हैं। राजस्थान में 8 फीसदी ब्राह्मण हैं, इसी समाज ने सबसे अधिक सीएम प्रदेश को दिए हैं। लेकिन बाद में दूसरे वर्गों के लोग हावी हो गए। कई ट्रेनों की सौगात राजस्थान को इनके मंत्री रहते मिली है। माना जाता है कि अभी इनकी राजस्थान की लोकल जनता में ज्यादा पैठ नहीं है। लेकिन लगातार वे सक्रिय होते दिख रहे हैं।