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Rajasthan: 2018 में पायलट को सीएम बनाने के लिए दिया था साथ, अबकी बार किसका साथ देगा गुर्जर वोट बैंक?

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में गुर्जर, जाट और राजपुत जातियां यह तय करती है इस बार किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधा जाय। ऐसे में फिलहाल दोनों ही पार्टियां इन जातियों को रिझाने मे जुटी है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में आज 5 बजे के बाद चुनावी शोर थम जाएगा। भाजपा और कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। कोई नेता और नेता तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इस बीच कल पीएम मोदी ने एक सभा में कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि एक बार राजेश जी गांधी परिवार को ललकारा था। जिसकी आज भी सचिन पायलट को मिल रही है। चुनावी विश्लेषक पीएम मोदी के मुंह से राजेश पायलट का नाम सुनकर हैरत में हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा की रणनीति है कि कैसे भी करके चुनाव से पहले गुर्जरों को एक बार फिर अपने पक्ष में कर लिया जाए। पिछले चुनाव में गुर्जरों का सारा वोट कांग्रेस पार्टी को मिला था। जबकि परंपरागत तौर पर गुर्जर कांग्रेस को वोट करते आए हैं। 2008 में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद से स्थिति बदल गई है। हालांकि ऐसा नहीं कहा जा सकता है गुर्जरों ने 2018 के चुनाव भाजपा को वोट ही नहीं दिया, लेकिन आरक्षण आंदोलन के बाद स्थितियां बदली है।

30 सीटें गुर्जर बाहुल्य

पूर्वी राजस्थान में गुर्जर वोट बहुतायत में है। आंकड़ों की मानें तो राजस्थान में करीब 8-9 फीसदी गुर्जर वोट है। जो कि प्रदेश की 30-35 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। इस चुनाव से पहले भाजपा ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बड़े नेता रहे स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को पार्टी ज्वाॅइन करा देवली-उनियारा सीट से मैदान में उतार दिया। इसी सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के युवा नेता और मंत्री अशोक चांदना से होगा। इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस ने 9 सीटों पर तो भाजपा ने 10 सीटों पर  गुर्जर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

पायलट को सीएम नहीं बनाने से नाराज है गुर्जर

हालांकि 2018 में जिस तरह से पायलट की अगुवाई में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद गुर्जरों को आस थी कि पार्टी आलाकमान उन्हें सीएम बनाएगा लेकिन सीएम बने गहलोत। इसके बाद से ही ये माना जा रहा है कि पायलट से सहानुभूति रखने वाले गुर्जर इस बार भाजपा के पक्ष में जा सकते हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस से 8 गुर्जर विधायक जीतकर विधानसभा पंहुचे। वहीं 12 सीटों पर भाजपा ने गुर्जर उम्मीदवारों को मौका दिया था। जबकि कांग्रेस ने इन्हीं सीटों पर गैर गुर्जर उम्मीदवार उतारे थे। यह रणनीति इसलिए अपनाई गई थी क्योंकि गुर्जर बाहुल्य सीट पर भाजपा के सामने अगर कांग्रेस भी गुर्जर उम्मीदवार उतारती तो इसका फायदा भाजपा को मिलता। ऐसे में उसने गैर गुर्जर को उतारकर इन सीटों पर विजय प्राप्त कर ली।

गुर्जर वोटों को साधने में जुटी भाजपा

इन 12 सीटों में से एक भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई थी। इसलिए भाजपा ने विशेष रणनीति के तहत विजय बैंसला को पार्टी में शामिल करा लिया। राजस्थान के 15 जिलों में गुर्जरों का वर्चस्व है। राजस्थान के 15 जिले भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, कोटा, बारां, झालावाड़, भीलवाड़ा और अजमेर जिलों में बहुतायत में गुर्जर समुदाय के लोग रहते हैं।  


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