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Jaipur News: राज्य सरकार का बड़ा फैसला, अब बोर्ड-निगमों के कर्मचारियों को भी मिलेगा ओपीएस का फायदा

Jaipur News: राज्य सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए अब बोर्ड, निगमों और सरकारी अनुदान से चलने वाले विश्वविद्यालयों के अफसर-कर्मचारियों को भी ओपीएस का लाभ देने का फैसला किया है। इसके लिए वित्त विभाग ने आदेश भी जारी कर दिये हैं। सरकार के इस फैसले 1 लाख कर्मचारियों को सीधा इसका फायदा मिलेगा। वित्त विभाग […]

Jaipur News: राज्य सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए अब बोर्ड, निगमों और सरकारी अनुदान से चलने वाले विश्वविद्यालयों के अफसर-कर्मचारियों को भी ओपीएस का लाभ देने का फैसला किया है। इसके लिए वित्त विभाग ने आदेश भी जारी कर दिये हैं। सरकार के इस फैसले 1 लाख कर्मचारियों को सीधा इसका फायदा मिलेगा। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेशों के अनुसार इन संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को ओपीएस स्कीम का लाभ लेने के लिए वित्त विभाग से जारी फाॅर्मेट को 15 जून तक भरकर जमा करवाना होगा। जिन संस्थाओं में पुरानी पेंशन स्कीम का फायदा नहीं मिलता है उन संस्थाओं को जीपीएफ लिंक पेंशन स्कीम लागू करने के लिए नए नियम बनाकर पेंशन निधि का गठन करना होगा।

पेंशन उठा चुके कर्मचारियों को ऐसे मिलेगा लाभ

इन संस्थाओं में काम करके रिटायर्ड हो चुके कर्मचारी जिन्होंने ईपीएफ या सीपीएफ से पूरी राशि ले ली है और अगर वह पुरानी पेंशन का लाभ लेना चाहते हैं तो उनके लिए भी सरकार ने विकल्प दिए है। ऐसे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन लेने के लिए फार्म भरकर देना होगा। इसके साथ-साथ उठाई गई राशि 12 फीसदी ब्याज के साथ पुनः जमा करवानी होगी।

एक नजर में पुरानी पेंशन स्कीम

इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचाारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। इस स्कीम में सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। इस योजना में कर्मचारी की पेंशन का भुगतान सरकारी कोषागार से होता है। इसके साथ-साथ इसमें 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम भी मिलती है। अगर रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो पेंशन की राशि उसके परिजनों को मिलती है।

अब जानिए न्यू पेंशन स्कीम

इस पेंशन स्कीम में कर्मचारी की पेंशन का हिस्सा सरकार के कोषागार से नहीं बल्कि कर्मचारी की सेलरी से कटता है। कर्मचारी के हिस्से से 10 प्रतिशत और सरकार 14 प्रतिशत अंशदान देती है। यह योजना शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए कर्मचारी इस योजना को पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानते। इस योजना में छह महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान नहीं है। इस योजना में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं मिलती। इस योजना की सबसे बड़ी दुविधा यह है कि रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 प्रतिशत हिस्सा निवेश करना होता है।


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