Jaipur Hospital Fire Deceased List: राजस्थान के बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में लगी आग में जान गंवाने वालों की शिनाख्त हो गई है. हादसे में मरने वालों की संख्या सुबह तक 8 हो गई है, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं. हादसा रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर हुआ. ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो डिपार्टमेंट के ICU वार्ड के स्टोर में शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़की, जिसमें चीजें जलने से निकली जहरीली गैस से लोगों और मरीजों का दम घुटा. फायर कर्मियों, पुलिस और मीडिया कर्मियों ने भी दम घुटने की शिकायत की.
---विज्ञापन---
आग में दम घुटने से गई इनकी जान
बता दें कि आग में दम घुटने के कारण 8 लोगों ने जान गंवाई है, जिनमें से 8वें शख्स दिंगबर वर्मा ने आज सुबह उपचार के दौरान दम तोड़ा. इससे पहले जिनकी मौत हुई, उनकी शिनाख्त सीकर निवासी पिंटू, जाचुर निवासी दिलीप, भरतपुर निवासी श्रीनाथ, भरतपुर निवासी रुकमणि, भरतपुर निवासी कुषमा, आगरा (UP) निवासी सर्वेश, सांगानेर (जयपुर) निवासी बहादुर के रूप में हुई. घायलों के नाम अस्पताल प्रशासन ने नहीं बताए हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि घायल मरीजों और उनके परिजनों ने सामने आने और नाम रिवील किए जाने से इनकार किया है.
---विज्ञापन---
अस्पताल प्रशासन ने क्या बताया?
बता दें कि जयपुर का सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल राजस्थान के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, जहां 6250 बेड हैं और यहां हर तरह की बीमारी का इलाज और उपचार किया जाता है. जिस ट्रॉमा सेंटर में अग्निकांड हुआ, उसके इंचार्ज डॉक्टर अनुराग धाकड़ हैं, जिन्होंने बताया कि न्यूरो डिपार्टमेंट के ICU वार्ड में कुल 24 मरीज थे. कुछ मरीज बेहोश थे और वेंटिलेटर सिस्टम पर थे. कुछ मरीज कोमा में थे, जो लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे. आग लगने की वजह से जो जहरीली गैसें निकलीं, उनकी वजह से बेहोशी और कोमा की हालत में उनका दम घुट गया.
यह भी पढ़ें: जयपुर के अस्पताल में कैसे भड़की आग? देखें क्या बोले अस्पताल के प्रभारी-पुलिस और गृह राज्य मंत्री बेड़म
हादसे के लिए यह वजहें भी जिम्मेदार
अनुराग धाकड़ ने बताया कि शॉर्ट सर्किट कैसे हुआ? यह जांच का विषय है और इसकी गहन जांच कराई जाएगी. क्योंकि ICU का स्ट्रक्चर स्पेशल होता है. ग्लास वर्क के अलावा प्रेशन मेंटेन करने का सिस्टम भी होता है, जिस वजह से ICU में धुंआ तेजी से फैला. सिंगल डोर होने के कारण मरीजों को बाहर निकालने में भी समय लग गया. अस्पताल के ही अग्निशमन उपकरणों से आग बुझाने की कोशिश की गई थी, लेकिन आग इतनी भड़क गई थी और वे उपकरण नाकाफी साबित हुए. हालांकि आग पर काबू पा लिया गया और ज्यादातर मरीजों को बचा भी लिया गया, लेकिन जिन्होंने जान गंवाई, उसके लिए कहीं न कहीं उनकी खुद की नाजुक हालत और इलेक्ट्रिक सिस्टम, स्ट्रक्चर जिम्मेदार हैं.