अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा को लेकर छिड़ी बहस के बीच राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि "संस्थागत कब्जा" और खनन माफिया को फायदा पहुंचाने की रणनीति है. उनके अनुसार, अरावली की 100 मीटर वाली परिभाषा को समझने के लिए इसे दो बड़े फैसलों, CEC को कमजोर करने और सरिस्का टाइगर रिजर्व की बाउंड्री बदलने के साथ जोड़ना होगा.
गहलोत के आरोपों के 3 बड़े आधार है.
- CEC को सुप्रीम कोर्ट से हटाकर 'कठपुतली' बनाने का आरोप.
- 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC).
- 5 सितंबर 2023 को नोटिफिकेशन द्वारा पर्यावरण मंत्रालय के तहत लायी गई अब सदस्यों की नियुक्ति सरकार के हाथों में.
गहलोत ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वतंत्र वाचडॉग को प्रक्रियागत रूप से कमजोर किया गया. उन्होंने याद दिलाया कि इसी CEC की रिपोर्ट पर 2011 में जनार्दन रेड्डी की गिरफ्तारी हुई थी. इसलिए सरकार को डर था कि स्वतंत्र CEC अरावली व सरिस्का में खनन रोक सकती थी गहलोत ने कहा कि रक्षक को ही भक्षक बना दिया गया.
---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: ‘अरावली के साथ नहीं होने देंगे छेड़छाड़ और खनन रोकेंगे…’, CM भजनलाल शर्मा का बड़ा बयान; कांग्रेस ने भी किया पलटवार
---विज्ञापन---
'सरिस्का में संरक्षित क्षेत्र बदलने का प्रयास है CTH मॉडल'
गहलोत के अनुसार सरिस्का में 881 वर्ग किमी CTH घोषित किया गया है. प्रतिबंधित क्षेत्र में 1 किमी के दायरे में खनन बैन है, लेकिन 2025 में राजस्थान सरकार ने बाउंड्री बदलने का प्रस्ताव तैयार किया गया. 24 जून को राजस्थान बोर्ड ने पास किया, 25 जून- NTCA मंजूरी, 26 जून- केन्द्रीय बोर्ड मुहर, 48 घंटे में तीन मंजूरियां. 6 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई और पूछा कि '48 घंटे में यह कैसे हो गया?' गहलोत ने कहा कि यदि संरक्षित क्षेत्र बदले जा सकते हैं, तो 0.19% वाली दलील पर भरोसा कैसे!
'केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के दावे पर सवाल'
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने कहा था की अरावली के केवल 0.19% हिस्से में ही खनन संभव. गहलोत ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि जब सरिस्का जैसे संरक्षित क्षेत्र की सीमा बदली जा सकती है तो 0.19% आंकड़ा भ्रमित करने वाला है.उन्होंने पूछा की क्या यह पर्यावरण संरक्षण है या खनन की तैयारी?
'राजनीतिक निशाना'
गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जनता को आंकड़ों में उलझा रही अरावली संरक्षण की आड़ में खदानों के दरवाजे खोले जा रहे है. लेकिन राजस्थान पर्यावरण के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा.
'यह विवाद क्यों बड़ा है?'
दरअसल, अरावली उत्तरी भारत की वाटर रीचार्ज लाइफलाइन है.दिल्ली NCR में धूल व प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाता है. अरावली ढहने का मतलब भूजल गिरावट, रेगिस्तान विस्तार और जैव-विविधता संकट है.