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चंद्रयान-3 की कामयाबी के साक्षी रहे तीन पंजाबी वैज्ञानिक; एक अमेरिका छोड़कर आया, दूसरा है किसान का बेटा

फाजिल्का: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इंसान को उतारने के मिशन में भारत की अनमोल कामयाबी के बाद से देशभर के साथ पूरी दुनिया में बसे भरतवंशी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। इसी बीच पंजाब के सरहदी शहर फाजिल्का में भी जश्न का माहौल है। हो भी क्यों न? यहां के तीन युवा […]

फाजिल्का: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इंसान को उतारने के मिशन में भारत की अनमोल कामयाबी के बाद से देशभर के साथ पूरी दुनिया में बसे भरतवंशी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। इसी बीच पंजाब के सरहदी शहर फाजिल्का में भी जश्न का माहौल है। हो भी क्यों न? यहां के तीन युवा इस कामयाबी के गवाह जो बने हैं। देशभर के कुल 150 होनहारों की डिजाइनिंग टीम में शामिल रहे इन तीन पंजाबी वैज्ञानिकों में से एक बैंक कैशियर का बेटा है तो दूसरा एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। अब उनके लौटने के इंतजार में न सिर्फ घर वालों ने, बल्कि पूरे इलाके ने पलकें बिछाना शुरू कर दी हैं।
  • फाजिल्का की डीसी डॉ. सेनू दुग्गल ने दी जिले के युवा वैज्ञानिकों के परिजनों और देशवासियों को बधाई; स्वागत में पलकें बिछाए बैठे पंजाबी

  • अमेरिका छोड़कर इसरो में बतौर एक्सप्लोजन साइंटिस्ट सेवा दे रहे नीतिश धवन के कैशियर पिता अनिल बोले-विदेश जाने वालों को लेनी चाहिए बेटे से सीख

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में बतौर एक्सप्लोजन साइंटिस्ट कार्यरत फाजिल्का शहर के जम-पल नीतिश धवन के पिता अनिल धवन पंजाब नेशनल बैंक में कैशियर के तौर पर सेवारत हैं तो मां विमल सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स हैं। स्थानीय सैक्रेड हार्ट कॉन्वैंट स्कूल में 10वीं कक्षा में विज्ञान और गणित में टॉप रहने के बाद नीतिश ने 12वीं में नॉन मेडिकल में टॉप करके चंडीगढ़ के खालसा सीनियर सेकंडरी स्कूल का मान बढ़ाया। इसके बाद देश में 1318वां रैंक हासिल करके रुड़की IIT में जगह बनाई। यहां से पढ़ाई करने के बाद अमेरिका चला गया और यह देशप्रेम ही था कि वहां से लौटकर नीतिश ने देश की तरक्की में योगदान देने का मन बनाया। वर्ष 2013 में इसरो का हिस्सा बन गए।

4 साल पहले निराश हो गए थे नीतिश

नीतिश के पिता अनिल ने बताया कि देश के मिशन मून को लेकर वह अक्सर बेटे से बात करते थे। यह कामयाबी न सिर्फ उनके बेटे की, बल्कि देश की पूरी टीम की मेहनत का नतीजा है। याद है वो दिन, जब 2019 में हमारा मिशन मून चंद्रयान 2 नाकाम हो गया था। उस वक्त नीतिश काफी निराश हो गया। उस निराशा ने बहुत कुछ सिखाया और कमियों को दूर करके पूरी टीम ने और बेहतरी से मेहनत की। आखिर अब मिशन कामयाब हो ही गया। ये भी पढ़ें Mann Ki Baat: पीएम मोदी बोले- संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं Jawahar Point Chandrayaan-1: पीएम मोदी के शिवशक्ति प्वाइंट नामकरण के बाद चर्चा में आया जवाहर प्वाइंट, जानें वजह

ये है मिशन मून की कामयाबी के दूसरे गवाह जगमीत का परिवार

चंद्रयान 3 की कामयाबी के दूसरे साक्षी जगमीत सिंह जिले के गांव चक्क सुहेले वाला के किसान परिवार से आते हैं। पिता शमशेर सिंह और माता सुखमंदर कौर ने बताया कि जगमीत ने शुरुआती शिक्षा गांव और पड़ोसी जिले श्री मुक्तसर साहिब से पूरी की। इसके बाद रूपनगर स्थित आईआईटी से हायर एजुकेशन हासिल की और देश के लिए योगदान देने वाले वैज्ञानिक के रूप में इसरो का हिस्सा बन गए। यहां जगमीत का देश सेवचा का जज्बा अपने आप में बड़ी बात है। असल, में एक ओर जहां बड़े भाई बनारस की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं और बहन विदेश में है, वहीं जगमीत ने अपने वतन को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना।

तीसरे के बारे में नहीं है ज्यादा जानकारी, पर जश्न वहां भी

सरहदी जिला फाजिल्का के ही एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखते गौरव कंबोज आईआईटी दिल्ली से पढ़े हैं। इनके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो पाई है। दूसरी ओर देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख डालने वाले इन युवा वैज्ञानिकों के बारे में बताते हुए फाजिल्का की उपायुक्त डॉ. सेनू दुग्गल ने देशवासियों को बधाई दी है।


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