Punjab Politics: पंजाब की राजनीति से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व मंत्री सिंकदर सिंह मलूका एक बार फिर अकाली दल में शामिल हो गए हैं। इस मौके पर पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सिंकदर सिंह का अकाली दल में पुनः शामिल होने पर मुझे आज बहुत खुशी हुई। उन्होंने पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी वापसी से पार्टी मजबूत होगी।
वापसी पर सुखबीर बादल ने क्या कहा?
मलूका की पार्टी में वापसी पर पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने एक्स पर लिखा कि, मुझे वरिष्ठ अकाली नेता श्री सिकंदर सिंह मलूका का शिरोमणि अकाली दल में पुनः स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। श्री प्रकाश सिंह जी बादल के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत करने में मलूका साहब ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी वापसी से पार्टी और मजबूत होगी, तथा वे लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के प्रचार अभियान में तुरंत शामिल होंगे। पंजाब की जनता के सहयोग से हर गुजरते दिन के साथ पार्टी मजबूत होती जा रही है। मैं सभी पंजाबियों से आग्रह करता हूं कि वे राज्य की शांति और विकास के लिए पंजाब की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी को मजबूत करने के लिए एकजुट हों।ये भी पढ़ेंः अमृतपाल सिंह ने दी एक और इन्फ्लुएंसर को धमकी, बोली- मैंने डिलीट कर दिया वीडियो फिर भी…
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुईं थी बहू
बता दें कि उनकी बहू और पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी में शामिल हुई थीं। इसके बाद पार्टी में उनको साइडलाइन कर दिया गया था। मलूका 2012 से लेकर 2017 तक रामपुरा फूल से विधायक रहे हैं। इस दौरान वे बादल सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री भी रहे। मलूका 1997 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वे रामपुरा फूल से 2002 और 2007 का चुनाव हार गए थे। दो हार के बाद उन्हें 2012 में एक बार फिर जीत मिली। 2022 में पार्टी ने एक बार फिर उन पर दांव खेला लेकिन वे फिर चुनाव हार गए।
बीजेपी में जाने की अटकलें लगी
2024 लोकससभा चुनाव से पहले उनके बीजेपी में जाने की खूब अटकलें लगी। इसकी वजह थी उनकी बहु जो कि आईएएस से सेवानिवृत्त होकर बीजेपी में शामिल हो चुकी थी। हालांकि मलूका इस दौरान ये कहते हैं कि वे अंतिम सांस तक अकाली दल में रहेंगे। हालांकि पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानकर उनपर कार्रवाई भी की थी। ऐसे में अब उनका पार्टी में शामिल होना अकाली दल के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है।
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