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‘कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे’, कानून मंत्रियों के सम्मेलन में बोले PM मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राज्यों के कानून मंत्रियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा और देश के लिए मजबूत न्याय व्यवस्था का होना काफी जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून की भाषा काफी सरल होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के […]

पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राज्यों के कानून मंत्रियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा और देश के लिए मजबूत न्याय व्यवस्था का होना काफी जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून की भाषा काफी सरल होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है। अभी पढ़ें - 'जीवन में कभी नहीं जाएंगे बीजेपी के साथ...', नीतीश कुमार ने किया ऐलान

लोक अदालतों का काफी महत्व: पीएम मोदी

लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी कम हुआ है और खासतौर पर, गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं। पीएम ने कहा कि देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं। कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है। कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। अभी पढ़ें - Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला बोले- चुनाव की तैयारियां पूरी, दो तिहाई बहुमत से होंगे विजयी पीएम ने कहा कि किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा। अभी पढ़ें - प्रदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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