Maharashtra Hindi-Marathi Row: महाराष्ट्र में इन दिनों हिंदी और मराठी विवाद को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। राज्य में इस विवाद ने एक बड़ा विकराल रूप ले लिया है। हाल ही में कई घटनाएं सामने आईं, जहां लोकल लोग गैर-मराठी भाषियों के साथ बदसलूकी और बदतमीजी कर रहे हैं। हाल ही में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-मराठी भाषियों पर हमला करने का मामला सामने आया था। अब महाराष्ट्र में भाषाओं को लेकर बढ़ रहे विवाद पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि थप्पड़ का थप्पड़ से जवाब देना पड़ेगा... राज्य में यह 'गुंडागर्दी' बंद होनी चाहिए...।
आखिर किसने मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाया?
महाराष्ट्र में भाषाओं को लेकर बढ़ रहे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि राज्य में भाषा के नाम पर ये गुंडागर्दी बंद होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मराठी का विरोध करना ठीक नहीं है। महाराष्ट्र की मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। मुंबई में 40 प्रतिशत लोग मराठी हैं और 60 प्रतिशत लोग गैर-मराठी हैं। मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बनाने में मराठी लोगों का योगदान है। लेकिन जो लोग मुंबई के बाहर से आए हैं, उनका भी इसमें बराबर का योगदान है। इसमें टाटा, बिड़ला, अडानी और अंबानी जैसे लोग शामिल हैं। इन गैर-मराठी लोगों ने मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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राज ठाकरे को रामदास की नसीहत
रामदास अठावले ने आगे कहा कि मुंबई में करीब 80 प्रतिशत लोग मराठी बोलते हैं। अगर 20 प्रतिशत लोग मराठी नहीं बोलते हैं तो उन्हें पीटना ठीक नहीं है। अठावले ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने हमेशा इसका विरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने राज ठाकरे को भी नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को ऐसा न करने का निर्देश देना चाहिए।