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शरद और अजीत पवार नहीं होंगे एक, स्थापना दिवस पर अलग-अलग मंच से दिखाएंगे ताकत

नेशनल कांग्रेस पार्टी 10 जून को अपना 26वां स्थापना दिवस मनाएगी। ऐसे में लोग कयास लगा रहे थे कि इस मौके पर शरद पवार और अजीत पवार फिर से एक साथ होंगे। हालांकि, अब ये साफ है कि ये दोनों गुट एक साथ नहीं आ रहे हैं। पढ़ें मुंबई से विनोद जगदाले की रिपोर्ट...

महाराष्ट्र की मजबूत राजनीतिक पार्टियों में से एक NCP में खींचतान जारी है। एक समय में एकजुट दिख रही शरद पवार और अजीत पवार की एनसीपी फिर से दो हिस्सों में दिखाई दे रही हैं। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी के स्थापना दिवस पर शरद पवार और अजीत पवार गुट एक साथ होंगे। हालांकि, अब ये साफ है कि पार्टी के दोनों गुट फिलहाल तो एक साथ नहीं आ रहे हैं। 10 जून को एनसीपी अपना 26वां स्थापना दिवस मनाएगी। इस बार दो हिस्सों में बंटी पार्टी अलग-अलग मंच पर अपनी ताकत दिखाएंगी। एक मंच पर शरद पवार होंगे, तो दूसरे मंच पर अजीत पवार होंगे।

नहीं चल रही विलय की बातचीत

पार्टी के विलय की संभावना अब लगभग खत्म होती दिख रही है। मई में शरद पवार ने संकेत दिया था कि दोनों गुट एक हो सकते हैं। साथ ही कहा था कि सुप्रिया सुले और अजीत पवार को मिलकर फैसला लेना चाहिए। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद अजीत पवार ने अपने गुट की बैठक में साफ कर दिया कि फिलहाल विलय की कोई बातचीत नहीं चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी टूट न जाए, शायद इसी डर से चाचा (शरद पवार) ने ऐसा बयान दिया होगा। सूत्रों की मानें तो दोनों पक्षों में कुछ वरिष्ठ नेता विलय के सख्त खिलाफ हैं। इसमें अजीत गुट के तीन और शरद गुट के दो नेता एक होने के पक्ष में नहीं हैं। यह भी पढ़ें: हरिद्वार में मां की ममता शर्मसार! बॉयफ्रेंड से कराया नाबालिग बेटी का रेप

अलग-अलग मंच से दिखाएंगे ताकत

एनसीपी के दोनों गुट इस बार पुणे में अपनी ताकत दिखाएंगे। लेकिन उनके मंच अलग-अलग होंगे। शरद पवार गुट की एनसीपी बालगंधर्व नाट्य मंदिर में स्थापना दिवस मनाएगी। वहीं, अजीत पवार का गुट बालेवाड़ी स्टेडियम में शक्ति प्रदर्शन करेगा। बता दें कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में आने वाले दिनों में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में दोनों गुट पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने और अपना जनाधार मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। एनसीपी की स्थापना की 26वीं वर्षगांठ पर पार्टी की एकता की उम्मीदें भले ही धूमिल हो गई हों, लेकिन इस दिन महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा सियासी संदेश जरूर जाएगा।


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