Palghar Lynching Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के पालघर लिंचिंग मामले की सुनवाई की। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि जांच को सीबीआई को सौंपने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी।
यह मामला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ में चल रहा है। गुरुवार को सरकार को सुप्रीम कोर्ट को बताना था कि सीबीआई जांच के पक्ष में क्या कार्रवाई की गई है।
महाराष्ट की सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे ने घटना की सीबीआई जांच के लिए सहमति दे दी है, लेकिन सरकार के और निर्देशों का इंतजार है। इसलिए मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित किया जाए।
सरकार को हलफनामा दाखिल करने का दिया था निर्देश
इससे पहले शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से एक हलफनामा दायर करने को कहा था, जिसमें कहा गया था कि जब राज्य को पालगढ़ लिंचिंग मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है, तो हम दखल क्यों दें?
पालघर में दो साधुओं की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मामले को लेकर शशांक शेखर झा ने याचिका दायर की थी। वहीं, मृत साधुओं के परिवारवालों और जूना अखाड़ा के साधुओं ने भी याचिका दाखिल की थी। याचिकाओं में कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
11 जून को जारी हुआ था नोटिस
11 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया था। 11 अक्टूबर 2022 को महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वे सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। यह भी बताया था कि सभी दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।