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‘दाभोलकर जैसा होगा हश्र’, एनसीपी चीफ शरद पवार को व्हॉट्सऐप पर मिली जान से मारने की धमकी

Sharad Pawar Death Threat: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार को जान से मारने की धमकी मिली है। इस संबंध शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पुलिस से शिकायत की है। कहा गया है कि पवार को उनके व्हॉट्सऐप नंबर पर किसी वेबसाइट के जरिए धमकी दी गई है, जिसमें कहा गया है […]

NCP Chief Sharad Pawar
Sharad Pawar Death Threat: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार को जान से मारने की धमकी मिली है। इस संबंध शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पुलिस से शिकायत की है। कहा गया है कि पवार को उनके व्हॉट्सऐप नंबर पर किसी वेबसाइट के जरिए धमकी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि तुम्हारा हश्र 'दाभोलकर' जैसा होगा। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर इस संबंध में कार्रवाई की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, 'पॉलिटिक्स ऑफ महाराष्ट्र' नाम के अकाउंट से पवार को धमकी दी गई है। बता दें कि आज यानी शुक्रवार को एनसीपी का 'जेल भरो आंदोलन' चल रहा है। इस बीच धमकी ने इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

सुप्रिया सुले ने पूछा- राज्य में क्या हो रहा है?

सुप्रिया सुले ने सवाल किया कि राज्य में क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि सुप्रिया सुले ने कहा कि मुझे यह जानकारी व्हाट्सएप पर सुबह मिली। उन्होंने कहा कि राजनीति में असहमति तो होनी ही है, लेकिन जिस तरह से इतनी नफरत फैलाई जा रही है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सांसद सुप्रिया सुले ने इस धमकी पर तुरंत संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैं पुलिस आयुक्त के पास न्याय मांगने आई हूं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कुछ होता है तो इसके लिए पूरी तरह से देश और प्रदेश के गृह मंत्री जिम्मेदार होंगे।

कौन थे डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर?

डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की पुणे के महर्षि विट्ठल रामजी ब्रिज पर 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नरेंद्र दाभोलकर अंधविश्वास और अघोरी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। हत्याकांड के बाद जांच में सामने आया था कि वारदात से करीब 45 मिनट पहले आरोपी घटनास्थल पर पहुंचे थे और सिर्फ 3 मिनट में ही वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए थे। डॉक्टर दाभोलकर ने पुणे में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का गठन किया था। उनकी हत्या के बाद राज्य सरकार को अंधविश्वास के खिलाफ कानून बनाने को मजबूर होना पड़ा।


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