Maratha andolan: लाखों की संख्या में मराठाओं को एकजुट कर आरक्षण के लिए हुंकार भरने वाले मनोज जरांगे पाटिल द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में फूट पड़ती दिखाई दे रही है। पाटिल पिछले साल अगस्त महीने से आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। 6 से 7 महीने उन्होंने कई बार आंदोलन किया। उनका मोर्चा मुंबई भी पहुंच चुका था। सरकार ने एक दिन का विशेष विधानसभा का सत्र बुलाकर मराठाओं को 10 फीसदी आरक्षण दिया। लेकिन पाटिल को यह मंजूर नही है। इसके बाद उनके ही साथी उनसे बिछड़ते नजर आ रहे हैं। 21 तारिक जरांगे पाटिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर अपने आंदोलन की नई दिशा तय की। इसके बाद बीते दो दिनों से उनके साथ आंदोलन में शामिल लोग मीडिया के सामने आकर उन पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
जरांगे बोले-सरकार की साजिश
बीते बुधवार को मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ कीर्तनकार अजय महाराज बारस्कर ने मोर्चा खोला। उसके अगले दिन यानीं गुरुवार को संगीता वानखेड़े नामक महिला मीडिया के सामने आई और उसने मनोज जरांगे पाटिल को शरद पवार का मोहरा बता दिया। खुद मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन का हिस्सा बताते हुए वानखेड़े ने कहा पाटिल का यह आंदोलन शरद पवार के इशारे पर चल रहा है। अपने विरोध उठते सुर पर मराठा नेता मनोज ने कहा है कि यह तो शुरुआत है। अभी 15 से 16 लोग इस तरह सामने आएंगे और आरोप लगाएंगे। क्यों की सरकार द्वारा रचा गया ट्रैप है।
आंदोलन और तेज होगा
दूसरी, तरफ पाटिल के खिलाफ कानून व्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। आंदोलन के दौरान सोलापुर में हुए युवक की मौत के मामले में उन्हें आरोपी बनाए जाने की मांग की गई है। दरअसल, विधेयक से नाराज मनोज जरांगे पाटिल ने 21 फरवरी को अपने आंदोलन की नई दिशा तय की है। उन्होंने सभी मराठाओं से अपील की है कि गांव-गांव में रास्ता रोकने का आंदोलन किया जाए। इतना ही नही उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि जब तक मराठाओं की मांग पूरी नही हो जाती है तब तक चुनाव न कराएं, अगर चुनाव होता है नेता प्रचार के लिए आते हैं तो उनकी गाड़ियां जब्त कर ली जाएं। पाटिल ने यह भी कहा है कि बुजुर्गों को भी अनशन बैठाया जाएगा।
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