Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति शरद पवार के एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के बाद से गर्माई हुई है। हाल ही में शरद पवार और एकनाथ शिंदे एक मंच पर मुलाकात करते नजर आए थे। जहां शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को 'गौरव सम्मान' दिया था। इसके बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान देखने को मिल रहा है। पहले शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने ऐसे पुरस्कार को खरीदा-बेचे जाने वाला बताया तो वहीं अब आदित्य ठाकरे ने भी मोर्चा खोल दिया है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि मैं उनकी (शरद पवार) उम्र, सीनियोरिटी और सिद्धांतों के ऊपर बात नहीं करूंगा।
हमारा सिद्धांत है कि कभी भी ऐसे आदमी (एकनाथ शिंदे) का सम्मान न करें, जिन्होंने न केवल हमारी पार्टी और परिवार, बल्कि महाराष्ट्र के उद्योगों को भी विभाजित कर दिया है। एकनाथ शिंदे को शरद पवार के सम्मानित करने के बाद महा विकास अघाड़ी में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा। आदित्य ठाकरे से पहले संजय राउत ने भी सम्मान किए जाने को गलत बताया था। आदित्य ठाकरे ने कहा कि डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विरोधी हैं। उन्होंने राज्य के लोगों के साथ विश्वासघात किया है।
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वे राष्ट्र विरोधी हैं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो लोग महाराष्ट्र विरोधी हैं, वे राष्ट्र विरोधी भी हैं। ठाकरे ने बुधवार को राजनीतिक उथल-पुथल के बीच दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भेंट की। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं में चुनावों को लेकर चुनाव आयोग पर लगे आरोपों पर भी चर्चा हुई। ठाकरे ने दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। केजरीवाल को विधानसभा चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा है।
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सूत्रों के मुताबिक आप ने कांग्रेस पर हार का ठीकरा फोड़ा है। लगातार तीसरे चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट लेने में नाकाम रही। इस चुनाव में कांग्रेस ने उसके वोट काटने का काम किया, जिसका नुकसान आप को उठाना पड़ा। 13 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस ने आप को हराने में भूमिका अदा की।
2022 में शिवसेना से अलग हुए थे शिंदे
शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके बाद से महा विकास अघाड़ी में उथल-पुथल मची है। शिंदे 2022 में शिवसेना के कई विधायकों के साथ एनडीए के साथ आ गए थे। इसके चलते उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में महायुति (भाजपा, शिवसेना शिंदे और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी) ने 288 में से 235 सीटें जीतकर दोबारा सरकार बनाई थी। एमवीए को सिर्फ 50 सीटें मिली थीं।