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नांदेड़ अस्पताल में क्यों दम तोड़ रहे मरीज? अब तक गई 31 की जान, 16 नवजात, मौतों पर सियासत शुरू

Maharashtra Nanded Hospital Death Case Inside Story: जीवन बचाने वाले अस्पतालों में जब मरीज जाते हैं या बच्चे जन्म लेते हैं तो घरवाले यही सोचते हैं, सब ठीक होगा, लेकिन उसी अस्पताल से जब एक के बाद एक मरने की खबरें आने लगें तो परिजनों के दिल पर क्या बीतेगी? यही हाल हुआ, उन मरीजों […]

Nanded Hospital Death Case
Maharashtra Nanded Hospital Death Case Inside Story: जीवन बचाने वाले अस्पतालों में जब मरीज जाते हैं या बच्चे जन्म लेते हैं तो घरवाले यही सोचते हैं, सब ठीक होगा, लेकिन उसी अस्पताल से जब एक के बाद एक मरने की खबरें आने लगें तो परिजनों के दिल पर क्या बीतेगी? यही हाल हुआ, उन मरीजों के परिजनों के साथ, जिनके अपने महाराष्ट्र के नांदेड़ में शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती थे। उनमें से काफी परिजन यह नहीं जानते होंगे कि उनके मरीज यहां से घर नहीं, सीधे श्मशान घाट जाएंगे। यह हृदय विदारक घटना ही कुछ ऐसी थी, जिसमें अबक तक मरने वाले मरीजों की संख्या 31 तक पहुंच गई है, जिसमें 16 नवजात शामिल हैं। जैसे ही अस्पताल से मौत की खबरें आने लगी हड़कंप मच गया। इस सरकारी अस्पताल में गूंज रही चीख-पुकारों राजनीतिक गलियारों तक भी पहुंची तो अस्पताल प्रशासन की नींद भी उड़ी। अस्पताल में मौत की जांच के लिए कमेटी बनाई गई। खबर सामने आते ही सियासत शुरू हो गई थी, जो अब चरम पर पहुंच गई है। महाराष्ट्र कैबिनेट मंगलवार को बैठक में मामले पर चर्चा करेगी। यह भी पढ़ें: दुनिया में कैंसर मरीजों के मामले में तीसरे स्थान पर भारत, ICMR बोला- फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर घर-घर जाकर करें स्क्रीनिंग

दिग्गज नेताओं ने स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठाए

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, जयराम रमेश ने एक के बाद एक ट्वीट कर राज्य सरकार की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठाए। सवाल उठे तो प्रदेश सरकार को भी जवाब देने के लिए आगे आना पड़ा। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि इस संबंध में मैने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को जानकारी दे दी है। जल्द ही वह अस्पताल का दौरा करेंगे। वहीं अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल पर लगाए गए लापरवाही बरतने के आरोपों को खारिज कर दिया। महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने बताया था कि मरीज कुछ स्थानीय निजी अस्पतालों से यहां भेजे गए थे। इनमें से जान गंवाने वाले कुछ मरीज वयस्क थे, जिनकी विभिन्न कारणों से मौत हुई। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एकनाथ शिंदे सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी सरकार पर हमला बोला। यह भी पढ़ें: 50 थे हमलावर, यहां-वहां गिराईं लाशें, बचाने की हिम्मत किसी में नहीं; देवरिया नरसंहार की पूरी कहानी

क्या कहता है अस्पताल प्रशासन?

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. श्यामराव वकोडे ने बताया, 70 से 80 किलोमीटर के दायरे में यह इकलौता ऐसा केंद्र है, इसलिए मरीज दूर-दूर से भी हमारे पास आते हैं। बीते कुछ दिनों से रोगियों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने अस्पताल पर लगे चिकित्सकीय लापरवाही के आरोपों को नकार दिया है। कहा, 'अस्पताल में न तो दवाईयों की कमी हुई है और न ही यहां डॉक्टरों की कमी है। नवजात बच्चों के मौत का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी बच्चे 0-3 तीन दिन के थे और उनका वजन भी बहुत कम था। मरीज पड़ोसी जिले हिंगोली, परभणी और वाशिम से आए हैं, वहीं कुछ तेलंगाना के भी मरीज यहां हैं।


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