देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी घमासान तेज हो गया है. गठबंधन की कोशिशों के बीच महा विकास आघाडी और महायुति, दोनों ही खेमों में पेंच फंस गया है. महा विकास आघाडी में सबसे बडा रोडा बनकर सामने आई है राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना. कांग्रेस ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर महा विकास आघाडी में एमएनएस शामिल होती है, तो कांग्रेस बीएमसी चुनाव अकेले लडेगी. लेकिन शिवसेना यूबीटी कोई बीच का रास्ता निकालना चाहती है, इसलिए संजय राउत ने एनसीपी एसपी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की है.
दरअसल, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और एमएनएस के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है. इसी समीकरण को सुलझाने के लिए आज शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत, एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार से मिले. अब देखना होगा कि शरद पवार इस गठबंधन की गांठ खोल पाते हैं या नहीं. दूसरी ओर महायुति में भी हालात बेहतर नहीं हैं. यहां नवाब मलिक गठबंधन के लिए बडी चुनौती बनकर उभरे हैं. बीजेपी नेताओं का साफ कहना है कि अगर नवाब मलिक एनसीपी के प्रचार में प्रमुख चेहरा बने रहते हैं, तो बीजेपी एनसीपी अजित पवार गुट के साथ बीएमसी चुनाव में नहीं जाएगी.
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इतना ही नहीं, बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी जहां शिंदे गुट को 52 सीटों की पेशकश कर रही है, वहीं शिंदे गुट की मांग करीब 90 सीटों की है. इस फासले ने महायुति की मुश्किलें और बढा दी हैं. हालांकि, मीटिंग से निकलने के बाद शिवसेना नेता राहुल शेवाले और बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष अमित साटम ने कहा कि गठबंधन को लेकर बातचीत सही दिशा में है.
इस बीच नवाब मलिक की बेटी सना मलिक ने बडा बयान देते हुए कहा है कि एनसीपी बीएमसी चुनाव अकेले लडने के लिए पूरी तरह तैयार है. फैसला पार्टी अध्यक्ष अजीत पवार का होगा. इस बयान ने महायुति में बेचैनी और बढा दी है. बीएमसी चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, गठबंधन की राजनीति और ज्यादा उलझती जा रही है. राज ठाकरे और नवाब मलिक दो ऐसे फैक्टर बन चुके हैं, जो महाराष्ट्र की सियासत में नए समीकरण गढ सकते हैं. सवाल है, क्या गठबंधन बचेंगे या बीएमसी चुनाव में अलग सियासी जंग देखने को मिलेगी?
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