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‘ब्रेकअप के बाद सुसाइड के लिए बाॅयफ्रेंड जिम्मेदार नहीं’, बाॅम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Boyfriend not guilty in suicide case HC: बाॅम्बे हाईकोर्ट ने सुसाइड मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए युवक को बरी कर दिया। मामले में कोर्ट ने कहा कि बिना पुख्ता सबूतों के आधार पर किसी को सजा नहीं दी जा सकती।

Bombay High Court Judgement Suicide Case
Bombay High Court Judgement: बाॅम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा अगर पुरुष ने रिलेशनशिप खत्म कर दिया है और फिर महिला ने सुसाइड कर लिया है तो शख्स पर सुसाइड के लिए उकसाने का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने 26 साल के युवक को बरी किया है। उस पर एक महिला को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। जिसके साथ वह पिछले 9 साल से रिलेशनशिप में था। मामले में बुलढाणा जिले के खामगांव कोर्ट ने बरी नहीं करने पर युवक ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा जांच में ये कहीं नहीं है कि शख्स ने मृतका को सुसाइड के लि उकसाया था। सबूतों के आधार पर कहा जा सकता है कि ब्रेकअप के बाद भी दोनों आपस में बातचीत करते थे। अगर शख्स ने उसे शादी के लिए मना किया तो यह महिला को सुसाइड के लिए उकसाना नहीं है। ये भी पढ़ेंः 88 मौतों का कारण बनीं मुंबई की लाल बसें, खौफनाक रिकॉर्ड आया सामने

प्रताड़ना के आधार पर सजा नहीं

कोर्ट ने कहा कि सुसाइड नोट और वाॅट्सऐप चैट से यह पता नहीं चलता है कि उस शख्स ने शादी का वादा कर फिजिकल रिलेशन बनाए। मृतका ने ब्रेकअप के तुरंत बाद सुसाइड नहीं किया था। दोनों के बीच जुलाई 2020 में ही ब्रेकअप हो गया था। जबकि मृतका ने 3 दिसंबर 2020 को सुसाइड किया था। ब्रेकअप और सुसाइड के बीच कोई संबंध नहीं है। कोर्ट ने 10 दिसंबर को एक फैसले में कहा कि एक व्यक्ति पर किसी की आत्महत्या के लिए उकसाने का दोष तभी लगाया जा सकता है जब उसके खिलाफ सबूत हो। सिर्फ प्रताड़ना के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती है। ये भी पढ़ेंः महाराष्ट्र में शराब की दुकानों पर AI कैमरे लगाने पर रोक; जानिए क्या है इसकी वजह?


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