Mulayam Singh Yadav Dies at 82: जहां लिया जन्म, वहीं होगा अंतिम संस्कार…मुलायम ने सैफई को बनाया अविस्मरणीय
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में सोमवार सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने आज सुबह 8 बजे से 8:30 बजे के बीच अंतिम सांस ली। यूपी के पूर्व सीएम को 22 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यादव का अंतिम संस्कार सैफई में किया जाएगा। बता दें कि मुलायम सिंह यादव पैदा भी सैफई में ही हुए थे।
1939 में हुआ जन्म, हुई थीं दो शादियां
समाजवादी नेता का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में मूर्ति देवी और सुघर सिंह यादव के घर हुआ था। उनकी दो शादियां हुई थीं। उनकी पहली पत्नी मालती देवी थीं जिनका 2003 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव अपनी पहली पत्नी मालती देवी से मुलायम सिंह यादव की इकलौती संतान हैं।
सैफई महोत्सव
समाजवादी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव में हर साल सांस्कृतिक उत्सव 'सैफई महोत्सव' का आयोजित किया जाता है। सैफई महोत्सव पिछले 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से आयोजित किया जा रहा है। वहीं, अगर ऐसा कहा जाए तो कि अगर सैफई में मुलायम यादव न पैदा होते तो सैफई कई मौकों पर विकास में बहुत पीछे रह जाता है। वहां बहुत विकास हुआ है। और इसके लिए सपा पर भाजपा द्वारा सैफई के नाम पर उकसाया भी जाता रहा है।
यादव ने अपनी स्कूली शिक्षा इटावा से की और स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के बीआर कॉलेज से एमए किया। इसके बाद उन्होंने मणिपुरी जिले के करहल के जैन इंटर कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू किया।
सैफई को लेकर आमने-सामने थे अखिलेश और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
आपको याद होगा हाल ही में यूपी विधानमंडल सत्र में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और नेता प्रतिपक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस हुई थी। मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हस्तक्षेप करना पड़ा। दरअसल यह मामला सैफई से ही खड़ा हुआ। बता दें कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बोल विधानसभा में अपना भाषण दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि आप जो एक्सप्रेस वे और मेट्रो बनाने की बात करते हैं ऐसा लगता है कि जैसे आपने सैफई की जमीन बेचकर ये सारा निर्माण करवाया हो। इस बात को लेकर अखिलेश यादव बिफर पड़े और सदन में हंगामा होने लगा।
ऐसे बदल गई कहानी
यादव के राजनीति में प्रवेश की शुरुआत एक कुश्ती मैच से हुई थी। वह मैनपुरी में एक मैच में भाग ले रहे थे और मैनपुरी के जसवंतनगर के तत्कालीन विधायक नाथू सिंह को अपने कौशल से प्रभावित किया। नाथू सिंह ने तब मुलायम को राजनीति में अपने आश्रय के रूप में चुना और संयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर उन्हें अपनी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया। यादव राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे नेताओं से काफी प्रभावित थे।
विधानसभा के सदस्य से सीएम कब बन गए?
यादव 1967 में पहली बार जसवंतनगर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए। दस साल बाद वे पहली बार मंत्री बने। वह सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ते रहे और 1989 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। सपा के दिग्गज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया।
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