मोटिवेशनल स्पीकर ने दिया असफलता में सफलता का मंत्र
देहरादून : 19 जनवरी 2023 को देहरादून स्थित राजभवन में 'टेड एक्स मसूरी' द्वारा आयोजित 'टेड टॉक' सम्पन्न हुआ, जिसमें उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल गुरमीत सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। 'फ्यूचर इज़ हियर' विषय पर आधारित इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों के जानकार वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए।
जिनमें आयुर्वेद के जानकार आचार्य मनीष, डी. जी. पी. उत्तराखंड अशोक कुमार, शिक्षाविद हरलीन सेठी, एजुकेशन इंडिया के मंजीत जैन, फोर्टीस हॉस्पिटल मोहाली के डायरेक्टर डॉ रवुल् जिंदल तथा सुप्रसिद्ध बिज़नेस टॉक लीडर तरुण राज अरोड़ा भी शामिल थे।
सफलता पर आमतौर पर बात होती है लेकिन सफलता के लिए असफलता का सामना करना ही पड़ता है। एक सफल उद्यमी होने के साथ-साथ बतौर बिज़नेस स्ट्रैटेजिस्ट काम करने वाले तरुण अरोड़ा ने अपनी सफलता के सफ़र का वर्णन करते हुए इस मौके पर बताया कि "असफलताओं से निकलकर जब आप अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं तब असल मायने में लोग आपको सफल कहने लगते हैं।
" 'सक्सेस बियॉन्ड फेल्यूअर्स' पर बात करते हुए उन्होंने सफलता को सब्जेक्टिव बताया। सिकंदर जैसे इतिहास पुरुष का उदाहरण देते हुए उन्होंने अपनी बात रखी। उनका ऐसा मानना है कि सिकंदर के सफल या असफल होने से भी ज्यादा ज़रूरी ये समझना है कि वो सदा प्रक्रिया में था, निरंतर प्रयासरत था। वे कहते हैं कि जब उन्हें सफलता का आभास हुआ तब भी उन्होंने ख़ुद को क्रियाशील रखा और जब बाधाएं आयी तब भी वे क्रियाशील थे। उनका मानना है कि ये निरंतरता न सिर्फ आपको व्यस्त रखती है बल्कि सिखाती भी है।
तरुण राज अरोड़ा का कहना है कि निरंतर क्रियाशील रहने के कारण ही वे आज अलग अलग क्षेत्रों में कार्यरत कई कंपनीज को स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग दे रहे हैं। मार्केटिंग गुरु के नाम से मशहूर तरुण राज अरोड़ा मानना है कि इसका कारण सिर्फ उनका सदैव क्रियाशील रहना या प्रयासरत रहना है। वे कहते हैं कि इस प्रक्रिया में आपको असफलता भी मिलेगी लेकिन असफलता को हमेशा सीखने के अवसर के तौर पर देखना है। अनेक मुश्किलों से भरे अपने पुरे सफर का हासिल बताते हुए उन्होंने कहा कि "मैंने असफलता पर तो विजय नहीं पाई लेकिन असफल होने के डर पर विजय पाने की तरफ़ लगातार प्रयासरत हूँ जो कि मुझे सफलता तक ले जाने की चाबी बन रही है।"
अपना वक्तव्य देते हुए तरुण राज अरोड़ा ने अपनी ज़िंदगी के कुछ ऐसे पल भी बताये जब वे असफलता की चरमसीमा देख रहे थे। उनके किचन उपकरणों के बिज़नेस का अचानक बुरी तरह बंद हो जाना हो या कोरोना के भयावह काल में आइस क्रीम बिज़नेस की नई नई संकल्पना का टूट कर बिखर जाना हो, इन सब की चर्चा उन्होंने की। तरुण कहते हैं कि इन सब से वे सीखते गए और इसीलिए बढ़ते रहे। उन्होंने अपनी चुनौतियों भरी आत्मकथा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे Avescular Necrosis नामक बिमारी से गुज़र रहे थे इसी समय उनके डिस्ट्रीब्यूटर्स का उनके प्रति व्यवहार बदल चुका था लेकिन हार न मानते हुए लड़ने वाले तरुण ने इस मौके पर भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने हार पर तो विजय नहीं पाई है लेकिन हार के डर पर विजय पाने की कोशिश में हैं।
इस मौके पर अपने अनुभवों की सहायता से कुल चार चीज़े तरुण राज अरोड़ा ने इस समय रेखांकित की। पहला 'धैर्य', दूसरी 'आक्रमकता' जो आपको समस्या का समाधान ढूंढने में सहायक होगी, तीसरी बात 'सीखने की प्रवृत्ति' - तरुण का कहना है की हर असफलता से आपको कुछ सिखाने ही आयी है। अंतिम बात बताते हुए उन्होंने कहा कि 'बहुत जल्दी प्रयास करना बंद नहीं करना है'। प्रयास के तरीके बदले जाने चाहिए। अपनी बात को पूरा करते हुए उन्होंने कहा "असफलता एक शानदार कारीगर है जो सफलता की मूर्ति बनाना जानता है। लेकिन वो आपके लिए मूर्ति नहीं बनाएगा। वो आपको सिर्फ़ सिखा सकता है कि मूर्ति कैसे बनानी है।"
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