MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। पॉक्सो एक्ट में दोषी ठहराया गया व्यक्ति उसके गलत इरादे का सबूत है। इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इसकी सजा को बरकरार रखा है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी द्वारा किसी लड़की के कपड़े खींचना और उसे इधर-उधर छूना, कंधे पर हाथ रखना उसके गलत इरादे को दर्शाता है।हाईकोर्ट के जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की सिंगल जज बेंच की ओर से कहा गया है, कि कानून के अनुसार, पॉक्सो एक्ट के तहत किसी भी अपराध के लिए आरोपी की ओर से दोषी सोच की जरूरत होती है और इस प्रकार के अपराधों में स्पेशल कोर्ट की ओर से यही माना जाएगा।
रिश्तेदार के घर से लौटते वक्त की छेड़छाड
दूसरे पक्ष का आरोप था कि पीड़ित छात्रा जब अपने रिश्तेदार के घर से लौट रही थी, तब व्यक्ति ने गलत इरादे से उसका हाथ पकड़ा और कपड़े खींचे। छात्रा के शोर मचाने पर उसके चाचा मनीष वहां आ गए। अभियुक्त पीडिता को धमकी देकर मौके से भाग गया।
आरोपी को दी गई 3 साल की सजा
पुलिस की ओर से दायर किए गए शिकायत पत्र के आधार पर अभियुक्त को दोषी पाया गया। कोर्ट ने उसे पॉक्सो एक्ट के तहत 3 साल की सजा के साथ-साथ 4000 का जुर्माना भी लगाया। अपीलकर्ता ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था
ऐसा आचरण अपीलकर्ता की यौन प्रवृत्ति को दर्शाता है
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, "जहां तक यौन इरादे की देरी का सवाल है, घटना के समय अपीलकर्ता 22 साल का व्यक्ति था। और पीड़िता 12 साल की थी। उसने पीड़िता के कपड़े खींचे और उसके कंधे पर हाथ रखा। यह आचरण स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता की यौन प्रवृत्ति को दर्शाता है।''इसलिए, हाईकोर्ट (आईपीसी) की धारा 354 और पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत अपीलकर्ता-अभियुक्त की सजा की पुष्टि करता है। कोर्ट ने दोषी पर 4,000 रुपये जुर्माना लगाने के साथ 3 साल की कैद की सजा भी बरकरार रखी है।
पीड़िता के बाएं हाथ पर खरोच का निशान
आरोपी के वकील ने अपना पक्ष रखी कि घटना के वक्त पीड़िता की उम्र की ठीक से जांच नहीं की गई और युवक की ओर से कोई गलत हरकत नहीं की गई थी। सारे सबूतो के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान की पुष्टि पीडिता के चाचा एक मनीष के बयान से होती है। पीड़िता की मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के बाएं हाथ पर एक खरोच का निशाना बताया था। अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखकर फैसला लिया है।