शब्बीर अहमद, भोपाल
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार की कैबिनेट द्वारा 4 दिन पहले नई ट्रांसफर नीति को मंजूरी मिली थी। इसके बाद राज्य सरकार की तरफ से इस नई ट्रांसफर नीति को शनिवार देर शाम को जारी कर दिया गया है। प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर दी है। इस नई नीति के तहत राज्य के 6 लाख 6 हजार नियमित कर्मचारियों में 10 फीसदी के ट्रांसफर होना तय है। इसका मतलब 60 हजार से अधिक कर्मचारियों के ट्रांसफर होंगे।
अब किस तरह होंगे तबादले?
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई ट्रांसफर पॉलिसी में बताया गया है कि सभी विभाग अपने लिए अलग से तबादला नीति बनाकर GAD के प्रावधानों का पालन करेंगे। जिले के कर्मचारी, राज्य के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का जिले के भीतर तबादला कलेक्टर के जरिए प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद होगा। वहीं, DSP से नीचे रैंक के कर्मचारियों का तबादला पुलिस स्थापना बोर्ड के आधार पर होगा। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक प्रभारी मंत्री के परामर्श के बाद ही पद स्थापना कर सकेंगे।
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कलेक्टरों के हक पर क्या होगा असर?
इसके साथ ही नई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत कमजोर परफॉर्मेंस वाले कर्मचारियों को सबसे पहले हटाया जाएगा। उन कर्मचारियों के सभी तरह के अटैचमेंट खत्म किए जाएंगे। इस नई नीति में जिलों के अंदर होने वाले तबादलों को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नई ट्रांसफर पॉलिसी में जिले के कलेक्टरों के हक को बरकरार रखा गया है। उनके ट्रांसफर के लिए किसी अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ मंत्री की सहमति जरूरी होगी। इससे राज्य में कलेक्टरों के काम की प्रक्रिया सरल होगी।