मध्य प्रदेश से नक्सलवाद की कहानी अब इतिहास बन गई है. बालाघाट के जंगलों में अंतिम सक्रिय नक्सली दीपक उर्फ मंगल उइके के आत्मसमर्पण के साथ प्रदेश पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित हो गया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनते हुए कहा कि 'लाल आतंक का अध्याय खत्म हुआ, यह सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत और सरकार की समर्पित रणनीति का परिणाम है.'
42 दिनों में 42 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
मुख्यमंत्री ने बालाघाट, मंडला और डिंडोरी के पुलिस अधिकारियों से चर्चा करते हुए नक्सल मुक्त अभियान में शामिल पुलिस बलों, अधिकारियों और शहीद जवानों को नमन किया. उन्होंने कहा कि पिछले 42 दिनों में 42 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. इनमें 7 करोड़ 75 लाख रुपये के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
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अमित शाह के मार्गदर्शन में चला नक्सल मुक्त अभियान
सीएम मोहन यादव ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में नक्सल मुक्त अभियान की रणनीति तैयार की गई थी. उन्होंने कहा, 'हमने तय किया था या तो उन्हें आत्मसमर्पण करवाएंगे या खत्म कर देंगे. आज उसी नीति का परिणाम सबके सामने है. प्रदेश के तीन सबसे प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला और डिंडोरी अब पूर्ण रूप से नक्सल मुक्त हैं.
आत्मसमर्पण करने वाले आखिरी दो माओवादी
आखिरी चरण में हार्डकोर माओवादी दीपक उर्फ मंगल उइके और रोहित ने आत्मसमर्पण किया. दोनों पर कुल 43 लाख रुपये का इनाम घोषित था. पुलिस और विशेष बलों की हजार से अधिक जवानों की तैनाती और 850 खुफिया अधिकारियों की निगरानी में यह ऑपरेशन अंजाम दिया गया.
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सीएम मोहन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
सीएम ने कहा कि यह अभियान सिर्फ सुरक्षा ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक मानवीय पहल थी. उन्होंने कहा, 'जो नक्सली रास्ता भटक गए थे, उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना ही हमारा लक्ष्य था.' मुख्यमंत्री ने बलिदान देने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनके साहस ने आज यह दिन संभव बनाया है. सीएम मोहन यादव ने कहा कि अब इन इलाकों में नया इतिहास लिखा जाएगा. जो कभी बंदूक की आवाज से दहशत में रहते थे, वहां अब विकास और शिक्षा की गूंज सुनी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार पुनर्वास और रोजगार योजनाओं के माध्यम से आत्मसमर्पण करने वालों का भविष्य सुरक्षित करेगी.