मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का आज जन्मदिन है। वह 60 बरस के हो गए हैं। यादव देश के कुछ सबसे अधिक पढ़े लिखे सीएम में से एक हैं। उन्होंने MBA, LLB और PhD तक पढ़ाई की है। उनके जन्मदिन पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की दिग्गज हस्तियों ने उन्हें बधाई दी। आइए आपको आज इस खबर में बताते हैं कि कैसे छात्र राजनीति से लेकर उन्होंने प्रदेश के सीएम तक का सफर तय किया।
जानकारी के अनुसार डॉ. मोहन यादव के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। उनका परिवार कृषि और कारोबार से जुड़ा है। उनका जन्म 25 मार्च 1965 को हुआ था। उनके पिता का नाम पूनमचंद यादव था। प्रदेश की राजनीति में वह अपने सरल और सादगी भरे स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।1984 में एबीवीपी में नगर मंत्री, 2013 में पहली बार बने विधायक
जानकारी के अनुसार मोहन यादव ने छात्र राजनीति से पॉलिटिक्स में कदम रखा था। वह 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी ) उज्जैन के नगर मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद 1988 में वे एबीवीपी के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चुने गए। इसके अलावा वह आरएसएस में भी अलगब-अलग पद पर रहे हैं। बता दें पहली बार 2013 में वे विधायक बने थे।बीजेपी ने जताया भरोसा, पहले सरकार का मंत्री फिर बनाया 'मुखिया'
2018 और 2020 में बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया और चुनाव जीतने के बाद सरकार में मंत्री बनाया था। अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी संभालने के बाद 2023 में उन्हें मुख्यमंत्री पद का कार्यभार दिया गया। डॉ मोहन यादव का छात्र नेता से लेकर मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री तक का उनका सफर शैक्षणिक उत्कृष्टता, राजनीतिक कौशल और जन कल्याण के प्रति अटूट समर्पण का एक उदाहरण है। उन्हें गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के बीच बदलाव के लिए जाना जाता है।माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के बने थे अध्यक्ष
डॉ. मोहन यादव ने 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में अध्यक्ष रहे थे। इसके अलावा वह 1989-90 में एबीवीपी परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री, 1991-92 में राष्ट्रीय मंत्री और 1993-95 में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह भी रह चुके हैं। स्वयंसेवी रहते हुए उन्हें 1996 में उन्हें संघ का खंड कार्यवाह और नगर कार्यवाह भी बनाया गया था।प्रदेश की राजनीतिक में विभिन्न पदों पर रहकर निभाई जिम्मेदारी
मोहन यादव बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य और सिंहस्थ मध्यप्रदेश की केन्द्रीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह मध्य प्रदेश विकास प्राधिकरण के प्रमुख पश्चिम रेलवे बोर्ड में सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे थे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो मोहन यादव को संघ का करीबी बताया जाता है। दिसंबर 2023 में जब पहली बार उनका नाम सीएम पद के तौर पर पेश किया गया तो विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने खुद मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा था।कुष्ठ रोगियों के साथ मनाया जन्मदिन, दिए ये गिफ्ट
मोहन यादव ने मंगलवार को कुष्ठ रोगियों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। इस दौरान सीएम ने कुष्ठ रोगियों को भोजन परोसा और दैनिक उपयोग की सामग्री भेंट की। प्रदेश सरकार के अनुसार उन्होंने राज्य में विकास की कई योजनाओं को फलीभूत किया। जैसे केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना, ये प्रदेश की एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें केन नदी पर दौधन बांध एवं लिंक नहर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। बता दें इस परियोजना से 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा। इसके अलावा संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य साथ मिलकर काम कर रही हैं।लाडली बहना योजना बना नारी शक्ति का मिसाल
सीएम मोहन यादव ने फरवरी में देवास में लाडली बहना योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं के लिए 1553 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। बता दें लाडली बहना योजना की यह राशि 1.27 करोड़ महिलाओं के खाते में ट्रांसफर की गई थी। इसके अलावा राज्य सरकार प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने और विकासकार्य पर काफी काम कर रही है। ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में 50 हजार करोड़ से बसेगा नया शहर, सुविधाओं से लैस होंगी ग्रीन फील्ड सिटी---विज्ञापन---
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