Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में संगठन की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक के दूसरे दिन आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग का विरोध किया. होसबोले ने इस बात पर जोर दिया कि संगठन पर प्रतिबंध लगाने का कोई "कारण" होना चाहिए, क्योंकि आरएसएस नियमित रूप से राष्ट्र निर्माण में लगा रहता है और जनता ने इसे स्वीकार किया है. "RSS पर प्रतिबंध लगाने से क्या हासिल होगा? जनता ने RSS को पहले ही स्वीकार कर लिया है."
संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बुलाई थी बैठक
यह बैठक RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा कचनार शहर में बुलाई गई थी. जिसमें संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई. RSS महासचिव की यह टिप्पणी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग के कुछ दिनों बाद आई है. उन्होंने भारत में कानून-व्यवस्था की वर्तमान स्थिति के लिए आरएसएस और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों का सचमुच सम्मान करते हैं, तो उन्हें आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लेना चाहिए. उन्होंने पूर्व कानून मंत्री द्वारा पहले संगठन पर प्रतिबंध लगाने का हवाला भी दिया.
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क्या कहा था कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि "ये मेरे निजी विचार हैं और मैं खुले तौर पर कहता हूं कि इस पर (आरएसएस पर) प्रतिबंध लगना चाहिए. अगर प्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल के विचारों का सम्मान करते हैं, तो ऐसा होना चाहिए. देश में सभी गलतफहमियां और यहां कानून-व्यवस्था की सभी समस्याएं भाजपा और आरएसएस की देन हैं." इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह किया था. उन्होंने संगठन पर "युवाओं का ब्रेनवॉश" करने और "संविधान के विरुद्ध दर्शन" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.
केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी RSS की स्थापना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 1925 से अपने अस्तित्व के 100 वर्ष पूरे किए. इसकी स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी. यह संगठन राष्ट्र और हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए कार्य करता है. हालांकि, 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, आरएसएस जांच के घेरे में आ गया और उस पर नाथूराम गोडसे को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया. जिसके कारण संगठन पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया. बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया और एक जांच में संगठन को महात्मा गांधी की हत्या में किसी भी प्रत्यक्ष संलिप्तता से मुक्त कर दिया गया.
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