भोपाल: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा? इस वाल का जवाब तो 3 दिसंबर की मतगणना ही तय करेगी। इससे पहले विभिन्न राजनैतिक विश्लेषकों की तरफ से किए गए सर्वे (Exit Polls) में मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मिशन रिपीट सक्सेस होता नजर आ रहा है। दूसरी ओर बावजूद इसके हाल में विपक्ष में बैठे कांग्रेस खेमे के दावे कुछ और ही हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि उन्हें एग्जिट पोल पर कभी भी भरोसा नहीं हुआ। इसी के साथ उन्ळोंने प्रदेश में 230 में से 130 से ज्यादा सीटें कांग्रेस की झोली में जाने का दावा किया।
ध्यान रहे, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की तरफ से 2,533 उम्मीदवार मुकाबले में उतारे गए थे। नतीजे को लेकर भाजपा और दोनों ही आशावादी हैं। 3 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद साफ हो जाएगा कि इस बार मध्य प्रदेश में कौन सी पार्टी की सरकार बनेगी। इससे पहले न्यूज 24-टुडेज चाणक्या समेत अलग-अलग राजनैतिक विश्लेषक एजेंसियों के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ गए हैं। इनमें मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटों में से भाजपा को 151 सीटें तो कांग्रेस को 74 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। साथ ही अनुमान है कि अन्य पार्टियां पांच सीट पर ही सिमट जाएंगी।
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इन सर्वे की मानें ताे प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह ही मुख्यमंत्री हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘कांटे की टक्कर-कांटे की टक्कर, लाडली बहनों ने सारे कांटे निकाल दिए। कोई कांटा बचा ही नहीं। मध्य प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की ही सरकार बनेगी’। इसके उलट कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं, 'एग्जिट पोल के नतीजे बहुत विविध हैं। हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते'। उन्होंने कहा, मुझे एग्जिट पोल पर कभी भरोसा नहीं हुआ। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश में 130 से ज्यादा सीटें मिलेंगी, लोग सीएम शिवराज सिंह चौहान से तंग आ गए हैं और परिवर्तन चाहते हैं'।
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हर हाल में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब हवा कांग्रेस के खिलाफ थी, तब भी इतनी कम सीटें नहीं आई, जितनी कि एग्जिट पोल दिखा रहे थे। यही वजह है कि मुझे एग्जिट पोल पर कभी भरोसा नहीं हुआ। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले जाने के कारण कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई। अब इस पूरे चुनाव में साइलेंट वोटर हमारे पक्ष में हैं। इसी के साथ दिग्विजय सिंह ने माना कि लाडली बहना योजना का थोड़ा-बहुत प्रभाव जरूर हो सकता है।