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MP: आवारा गौवंश बन रहे मुसीबत, जिला प्रशासन ने जारी किया ये समाधान

रायसेन: मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में इन दिनों सड़कों एवं हाईवे पर बैठे गौवंश दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। कई बार इनके कारण सड़क हादसे हो रहे हैं तो कई बार सड़क हादसों में गौवंश की बेमौत जान जा रही है। बीते दिनों रायसेन जिले के भोपाल-जबलपुर एनएच 45 पर अज्ञात वाहन द्वारा सड़क […]

रायसेन: मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में इन दिनों सड़कों एवं हाईवे पर बैठे गौवंश दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। कई बार इनके कारण सड़क हादसे हो रहे हैं तो कई बार सड़क हादसों में गौवंश की बेमौत जान जा रही है। बीते दिनों रायसेन जिले के भोपाल-जबलपुर एनएच 45 पर अज्ञात वाहन द्वारा सड़क पर बैठी 15 गायों को कुचल दिया। इसके बाद वहां से गुजर रहे महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा सड़क पर गोबर में ही मृत गायों के बीच 3 घंटे तक धरने पर बैठे रहे।

प्रशासन के आश्वासन के बाद उन्होंने धरना तो खत्म कर दिया लेकिन यहा एक बड़ा सवाल लोगों के सामने खड़ा कर गए। आखिर सड़क पर गोवंश को कौन छोड़ रहा है और इन सब के लिए जिम्मेदार कौन है! रायसेन कलेक्टर ने इस घटना के बाद सख्त लहजे में पत्र जारी कर संबंधित ग्राम पंचायतों के सचिवों एवं शहरी क्षेत्रों में नगर परिषद नगर पालिका के सीएमओ कोई समस्या को खत्म करने के निर्देश दिए।

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वहीं इस घटना के बाद जब हमने जिले की गौशालाओं का रियलिटी चेक किया को कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ गए। रायसेन जिला मुख्यालय पर ही संचालित श्री कृष्ण गौशाला में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार गाय नहीं मिली जबकि शहर की सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में खुलेआम को गोवंश विचरण कर रहा है। रायसेन कलेक्टर ने इस समस्या से निजात पाने के लिए गोवंश के मालिकों एवं गौशालाओं के संचालकों को आगे आकर इसे एक सामाजिक आंदोलन बनाकर काम करने की बात कही है।

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सड़क सुरक्षा समिति की बैठक ली थी, एसपी विकास शहवाल सहित सभी जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान कलेक्टर अरविंद दुबे ने निर्देश दिए थे कि सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों के कान में लगे टेग से पशु मालिक की जानकारी जुटाकर उन पर एफआईआर दर्ज कराई जाए। लेकिन इन निर्देशों को दिए हुए पूरे 22 दिन हो चुके हैं। एक भी पशु मालिक पर रायसेन शहर में एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। इसका नतीजा ये है कि शहर के गोपालपुर से लेकर सागर और भोपाल रोड सहित जिले भर की सड़कों पर मवेशियों के झुंड के कारण सड़कों से वाहन निकाल पाना मुश्किल हो रहा है।

सड़काें पर मवेशी आसपास के ही पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक सड़कों पर जो मवेशियों के झुंड जमा होते हैं, वे आसपास के ही गांव या नगर के ही होते हैं। पशु मालिक इन मवेशियों को घरों में न बांधकर सड़कों पर छोड़ देते हैं। इसी तरह की स्थिति जिले भर में है , इसके चलते कहीं मवेशी तो कहीं वाहन चालक एक्सीडेंट में जान गंवा रहे हैं।

तीन समाधान

1. 300 किमी दूर गौशालाओं में छोड़ा जाए

पशु मालिकों द्वारा सड़कों पर छोड़े जाने वाले मवेशियों को वाहनों में भरकर 300 किमी की दूरी की गौशालाओं में ले जाकर छोड़ दिया जाए। इससे पशु मालिक पशुओं के ले जाने के डर से अपने मवेशियों पर ध्यान देना शुरु कर सकते हैं।

2. कांजी हाउस वाली व्यवस्था लागू की जाए

पहले की तरह ही फिर कांजी हाउस चलाए जाएं। सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को कांजी हाउस में बंद कर दिया जाए । जुर्माना वसूल करके ही छोड़ा जाए। यदि 10 दिन के अंदर पशु मालिक कांजी हाउस न पहुंचे तो मवेशी को नीलाम कर दिया जाए।

3. टोल नाके वाले पेट्रोलिंग वाहन चलाकर सड़कें कराएं खाली

हाइवे सड़कों पर टोल नाके के माध्यम से टैक्स वसूल किया जाता हैं, लेकिन सड़कों पर मवेशी जमा होने से लोगों को सफर परेशानी भरा होता है, इसलिए टोल टैक्स वसूल करने वाली कंपनी को पेट्रोलिंग वाहन चलाकर सड़कों पर जमा मवेशियों को बार-बार हटवाना चाहिए ।

(Zolpidem)


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