बिहार में आज नई सरकार का गठन होने जा रहा है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री जबकि तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। कैबिनेट में अन्य कितने मंत्री शपथ लेंगे या फिर उनका शपथ कब होगा, ये फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल नीतीश और तेजस्वी ही आज शपथ लेंगे जबकि खरमास के बाद अन्य मंत्री कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं।
उधर, नई सरकार में किस पार्टी की कितनी भागीदारी होगी, ये भी फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चीफ जीतनराम मांझी ने कैबिनेट में अपनी पार्टी की भागीदारी को लेकर ख्वाहिश जता दी है।
बिहार धर्मनिरपेक्ष राज्य और यहां धर्मनिरपेक्षता की नीति ही चलेगी: मांझी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि हमलोगों को पहले से अहसास था कि भाजपा सरकार जिस दिशा में चल रही है, वह हिंदुस्तान के लिए घातक है। बिहार धर्मनिरपेक्ष राज्य है और यहां धर्मनिरपेक्षता की नीति ही चल सकती है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार केंद्र में चल रही है, आज नहीं तो कल उनके खिलाफ हवा उठनी चाहिए। समय ऐसा आ गया कि नड्डा ने भी कह दिया कि हम छोटी पार्टियों को देखना नहीं चाहते हैं, ये बात भी उन्होंने बिलकुल गलत बोली। इन बातों को देखकर लगा कि कार्रवाई होनी चाहिए, इसलिए नीतीश कुमार ने ये कार्रवाई की है और इसके लिए नीतीश कुमार को मैं धन्यवाद देता हूं।
सीएम, डिप्टी सीएम के साथ 17 मंत्री शपथ लेते तो ज्यादा अच्छा होता: मांझी
जीतनराम मांझी ने कहा कि परसों से खरमास शुरू हो रहा है। एक दो लोग अगर सरकार चलाएंगे तो कोई बात नहीं है। लेकिन अगर 17 मेंबर शपथ लेते तो अच्छा होता। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने महागठबंधन सरकार को बिना शर्तों के समर्थन दिया है। ये नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है, वे जो चाहे करें, मुझे उनपर विश्वास है। 2015 में हम एक थे तो एक मंत्रीपद मिला था। आज हमारी पार्टी के विधायक और एमएलसी मिलाकर पांच हैं तो ऐसे में कम से कम दो मंत्रीपद हमलोगों को मिलना चाहिए।
जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के काबिल हैं, वे इस पद के साथ न्याय करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार का कोई नेता अगर प्रधानमंत्री पद का चेहरा होता है तो सबसे पहले मेरा समर्थन उसे होगा। उन्होंने ये भी कहा कि हालांकि ये सब नीतीश कुमार पर निर्भर करता है, क्योंकि कई बार नीतीश खुद कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं।