Jharkhand News: झारखंड के गिरिडीह में पुलिस दबिश के दौरान एक नवजात बच्चे की मौत हो गई। परिवार वालों का आरोप है कि बच्चे की मौत एक पुलिसकर्मी द्वारा पैरों से कुचलने के चलते हुई है। इसके बाद देवरी थाना पुलिस घिर गई है।
चार दिन का था बच्चा
बच्चे का जन्म चार दिन पहले हुआ था। डीएसपी संजय राणा और खोरीमहुआ के एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो ने पूरी मामले की जानकारी ली है। एसपी अमित रेणू के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है। वहीं, सीएम हेमंत सोरेन ने भी जांच के आदेश दिए हैं।
वारंटी को पकड़ने पहुंची थी पुलिस
दरअसल, देवरी थाने की पुलिस टीम बुधवार सुबह एक वारंटी भूषण पांडेय को पकड़ने के लिए कोशोगोंदो दिघी गांव पहुंची थी। बताया जा रहा है कि परिवार ने दरवाजा बंद कर लिया था। किसी तरह दरवाजे पर धक्का मारकर पुलिस भीतर दाखिल हुई। पुलिस को देखकर घर के सभी सदस्य बाहर निकल आए। घर के भीतर सिर्फ चार दिन का नवजात था।
परिवार वालों का कहना है कि जब वे घर के भीतर गए तो बच्चे में कोई हरकत नहीं थी। लोगों का आरोप है कि बच्चे की मौत पुलिसकर्मी के पैर से दब जाने के चलते हुई है।
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पुलिस अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाई
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि इस तरह की घटना निंदनीय है। कड़ी कार्रवाई होगी। यह देश संविधान के अनुसार चलता है इसलिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
सीएम हेमंत सोरेन ने दिए जांच के आदेश
इस घटना पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने गिरिडीह पुलिस और गिरिडीह डीसी को मामले की जांच के बाद रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
पूर्व सीएम बोले- बेचारे सोरेन महालूट में फंसे हैं, उन्हें वक्त कहां?
पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने इस घटना के बहाने हेमंत सोरेन सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि क्या यह कल्पना किया जा सकता है कि पारिवारिक विवाद वाले मामूली मारपीट के किसी पुराने मामले में पुलिस किसी की गिरफ़्तारी करने रात में उसके घर जाय और चार दिन के नवजात बच्चे को बूट से कुचल कर मार दे।
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यकीन नहीं हो रहा लेकिन यह सच है। झारखंड के गिरीडीह जिले के देवरी थाना की पुलिस ने दिल को दहला देने वाले यह ऐसा काम किया है जिसे सुन-देखकर शर्म को शर्म आ जाय।
फिर होगा लीपापोती का प्रयास
उन्होंने कहा कि यह घटना बारूद के ढेर पर बैठे झारखंड के सरकार की कार्यशैली का नया प्रमाण है। राज्य के मुख्यमंत्री अभी जांच का आदेश दे रहे हैं। फिर लीपापोती का प्रयास होगा। वैसे भी बेचारे हेमंत सोरेन जी अभी महालूट के घपले-घोटाले में फंसे अपने दलालों की मंडली समेत खुद को बचाने में व्यस्त हैं। ऐसे में इन संवेदनशील मामलों पर कड़ा एक्शन तुरंत लेने का वक्त ही कहां है मुख्यमंत्री जी के पास?
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