Himachal IGP, 7 other cops get life imprisonment: शिमला के बहुचर्चित गुड़िया हत्याकांड में आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के केस में चंडीगढ़ कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सीबीआई की कोर्ट ने कस्टडी डेथ के इस मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इससे पहले 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने सभी को दोषी करार दिया था। सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी की धारा 120-बी (साजिश रचना), 302 (हत्या) में दोषी पाया।
इन पुलिसकर्मियों को हुई सजा
दरअसल, ये पूरा मामला शिमला के कोटखाई का है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा बुड़ैल का दोष साबित होता है।
ये था पूरा मामला
4 जुलाई 2017 को कोटखाई में गुड़िया (16) लापता हुई थी। जिसके बाद जंगल में उसका शव नग्न हालत में मिला था। पुलिस ने मामले में हत्या और रेप का केस दर्ज किया था। इस मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी के नेतृत्व में एसआईटी बनाई गई थी। जांच के बाद टीम ने मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। वह नेपाल का रहने वाला था। सूरज के परिजनों ने पुलिसकमियों पर हत्या करने का आरोप लगाया था।
सीबीआई ने की थी मामले की जांच
परिजनों की शिकायत के बाद सूरज की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी दी गई थी। सीबीआई ने जांच कर ये रिपोर्ट दी कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। जिसके बाद सीबीआई ने आईजी समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। सोमवार को सीबीआई की अदालत ने इस मामले में सजा का ऐलान किया है।
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