Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project Update: भारत सरकार का एबिशियस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर एक बड़ा सामने आया है। दरअसल, गुजरात में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए वायाडक्ट पर ट्रैक के वेल्डिंग का काम शुरू हो गया है। साथ ही इस प्रोजेक्ट के तहत जापान से इम्पोर्ट की गई 25 मीटर लंबी पटरियों को अल्ट्रा-मॉर्डन फ्यूजन वेल्डिंग (FBW) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 200 मीटर लंबे पैनल में जोड़ा जा रहा है। इस तरीके से अब तक करीब 298 ट्रैक पैनल वेल्ड से जोड़ा जा चुका है, जिसकी लंबाई करीब 60 किलोमीटर है। इस प्रोजेक्ट के काम को यात्री सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हाई स्पीड ट्रेवल के लिए अल्ट्रा-मॉर्डन टेक्नोलॉजी के साथ किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के ट्रैक वेल्डिंग प्रोसेस की कई खास विशेषताएं है। इसमें पटरियों की तैयारी, क्वालिटी कंट्रोल, फ्लैश बट वेल्डिंग, डिफेक्ट इंस्पेक्शन और जिनिओलॉजी टेस्टिंग जैसी बातें शामिल है।
ट्रैक वेल्डिंग प्रोसेस की खासियत
पटरियों की तैयारी: बुलेज ट्रेन के टैक की पटरियों के सिरे को वेल्डिंग से पहले पीसा जाता है। इससे कारीगरों को वेल्डिंग के लिए एक सपाट सतह मिलती।
क्वालिटी कंट्रोल : प्रत्येक ट्रैक का आयामी आवश्यकताओं के अनुसार परीक्षण किया जाता है।
फ्लैश बट वेल्डिंग: पटरियों को पूरी तरह से जोड़ने के बाद उन्हें फ्लैश बट वेल्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके एक साथ जोड़ा जाता है।
डिफेक्ट इंस्पेक्शन: अल्ट्रासोनिक परीक्षण का उपयोग करके वेल्ड में किसी भी दोष का पता लगाया जाता है और दोषपूर्ण वेल्ड को बदल दिया जाता है।
जिनिओलॉजी टेस्टिंग: जापान से आयात किए गए विशेष उपकरणों का उपयोग करके वंशावली परीक्षण किया जाता है।
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क्यों खास है लेट ट्रेन प्रोजेक्ट?
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट न केवल यात्रा का समय कम करेगी, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी। ट्रैक वेल्डिंग का शुरू होना इस प्रोजेक्ट के सफलतापूर्वक पूरा होने की दिशा में एक बड़ा कदम है।