Trendingipl auctionPollutionparliament

---विज्ञापन---

गुजरात में अनोखे अंदाज में मनाई गई दिवाली, लोगों ने एक दूसरे पर पटाखे फेंककर खेला आग का युद्ध

Gujarati people celebrated diwali unique: गुजरात के सावरकुंडला शहर में हर साल दिवाली की रात को एक अनोखा खेल खेला जाता है, इस खेल को इंगोरिया का युद्ध कहा जाता है।

Gujarati people celebrated diwali unique: गुजरात, (पार्थ खेर)। गुजरात के अमरेली में दिवाली की पूरी रात एक अनोखा और रोमांच से भरपूर तरीके का खेल-खेला जाता है। इसे यहां के लोग ‘इंगोरीया का युद्ध’ कहते है। हाथो से बनाए गए सुलगते ईगोरे को एक दूसरे पर फेंकते हैं और पूरे शहर में दौड़ धाम और धक्का-मुक्की का माहौल बन जाता है। इस खेल को खेलने की पपंपरा आज से नहीं बल्कि 150 सालों से भी ज्यादा समय से चली आ रही है। आइए जानते हैं कि क्या होता हैं इंगोरे का खेल और कैसे लोग सुलगते पटाखों को हाथ में लेकर इंगोरेका आग का युद्ध खेलते हैं।

150 सालों से खेला जा रहा ‘इंगोरीया का युद्ध’ 

गुजरात के सावरकुंडला शहर में हर साल दिवाली की रात को एक अनोखा खेल खेला जाता है, इस खेल को इंगोरिया का युद्ध कहा जाता है। यहां के लोगों की मान्यता है कि बरसो पहले सावर और कुंडला दो अलग-अलग गांव थे और बीच में से नदी पसार होती थी तब दोनों गांव के युवा अलग-अलग गुटों में बंट जाते थे और रात्री के दस बजे से लेकर सुबह तक एक दूसरे के सामने सुलगते हुए इंगोरे फेंक कर दिवाली पर्व मनाया करते थे तब से ही यह गांव मिलकर एक शहर बन गए तब से यह युद्ध की परंपरा चली आ रही है। यह युद्ध पूरे भारत में सिर्फ अमरेली जिले के सावरकुंडला शहर में ही खेला जाता हे।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: जेल में मंत्री के होने से, दूरी बनी ‘सोने’ से: बिना गहनों के मंडप मे बैठाई गई ‘मां काली’, अनुब्रत मंडल करते थे पूजा

---विज्ञापन---

अभी तक नहीं हुई किसी भी प्रकार की दुर्घटना

यह ईगोरे की लड़ाई पूरे ही निर्दोषता से खेली जाती है। इस युद्ध में जब इंगोरेका युद्ध चलता है,  तब पूरे शहर में भागदौड़ मच जाती है और दौड़धाम,धक्का मुक्की का माहौल बन जाता है। इस प्रकार से सुलगते हुए पटाखे एक दूसरे पर फेंके जाने के बावजूद भी इस आग के खेल में किसी भी प्रकार की दुर्घटना अभीतक नहीं हुई है। पुलिस भी चुस्त बंदोबस्त इस युद्ध के लिए लगा देती है, जिसकी वजह से शांति के माहौल में यह युद्ध (लड़ाई) की जाती है। जानकारी के अनुसार, चीकू के जैसे फलों को सुखाकर उसमें ड्रिल से हॉल बनाया जाता है और इसमें दारू भर दी जाती है। दारू को पाउडर, गंधक और सुरोखार मिलाकर बनाया जाता है। इससे हर्बल पटाखे तैयार किए जाते हैं।

एक स्थानीय व्यक्ति के अनुसार,  यंहा पर कई सालों से यह खेल खेला जाता है, स्थानीय पुलिस पूरी व्यवस्था और इंतजाम कर यंहा पर मंजूरी देती है। इसके लिए भारी मात्रा में पुलिसफोर्स तैनात की जाती है। साथ ही फायर ब्रिगेड की गाड़िया भी यंहा पर सुरक्षा के लिए तैयार रहती हैं। हालांकि,  इतने सालों से कोई भी दुर्घटना नहीं हुई है।

ये भी पढ़ें: Gopashtami 2023: गोपाष्टमी कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

(http://www.tntechoracle.com/)


Topics:

---विज्ञापन---