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गुजरात हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, वक्फ बोर्ड को भी भरनी होगी तय कोर्ट फीस

Gujarat High Court decision Waqf Board: गुजरात में वक्फ को लेकर अदालत ने एक बड़ा और अहम निर्णय सुनाया है. गुजरात हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब वक्फ को भी अन्य धार्मिक ट्रस्टों के बराबर माना जाएगा और संपत्ति से जुड़े किसी भी विवाद में वक्फ बोर्ड को भी तय कोर्ट फीस भरनी होगी.

Gujarat High Court decision Waqf Board: गुजरात की वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद पर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फैसले के मुताबिक अब वक्फ को भी अन्य धार्मिक ट्रस्टों के बराबर माना जाएगा और संपत्ति से जुड़े किसी भी विवाद में वक्फ बोर्ड को भी तय कोर्ट फीस भरनी होगी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कानून की नजर में कोई भी पक्ष प्रक्रिया से ऊपर नहीं हो सकता. इसलिए जो नियम हिंदू धार्मिक ट्रस्टों पर लागू होते हैं, वही नियम अब वक्फ पर भी समान रूप से लागू होंगे. अब तक पुराने वक्फ कानून में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण वक्फ को कोर्ट फीस से छूट मिल जाती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस छूट को खत्म कर दिया है. यह आदेश छोटी दरगाहों से लेकर बड़ी मस्जिदों के प्रबंधन तक, सभी पर समान रूप से लागू होगा.

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कानूनी विवादों के लिहाज से यह फैसला बेहद अहम

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनसे जुड़े कानूनी विवादों के लिहाज़ से यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है. कोर्ट ने इस निर्णय के ज़रिये सभी धार्मिक ट्रस्टों के लिए कानूनी प्रक्रिया में समानता स्थापित करने की बात कही है.भारत में हर राज्य में वक्फ बोर्ड गठित है, जो वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है. देशभर में वक्फ बोर्ड के पास करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ ज़मीन और लगभग 8 लाख 70 हजार संपत्तियां हैं.

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इनकी अनुमानित कीमत करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये बताई जाती है, जिससे वक्फ बोर्ड देश के सबसे बड़े ज़मीन मालिकों में शामिल हो जाता है. हालांकि, प्रशासनिक खामियों और कानूनी विवादों के चलते बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियां अदालतों में लंबित हैं. ऐसे में गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में एक नया मोड़ माना जा रहा है.

डिप्टी सीएम हर्ष संघवी ने किया फैसले का स्वागत

गुजरात की वक्फ संपत्तियों को लेकर गुजरात हाईकोर्ट के फैसले का डिप्टी सीएम हर्ष संघवी ने स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया. पत्रकारों से बातचीत में हर्ष संघवी ने कहा कि अब तक फीस न लेने के कारण पेंडिंग केस बढ़ते जा रहे थे. अब केस कम आएंगे तो पेडिंग केसों का भी जल्द निपटारा हो पाएगा.

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