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गुजरात के इस हैवी ट्रैफिक रोड पर बनेगा फ्लाईओवर, हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी

Ahmedabad Panjrapol Flyover: गुजरात हाई कोर्ट में चल रहे अहमदाबाद के आईआईएम फ्लाईओवर मामले का फैसला आ गया है और फ्लाईओवर के निर्माण को हरी झंडी भी मिल गई है।

Ahmedabad Panjrapol Flyover
Ahmedabad Panjrapol Flyover: गुजरात के अहमदाबाद में आईआईएम और पंजरापोल के बीच ओवरब्रिज के विवाद को लेकर दायर जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने फ्लाईओवर बनाने के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में कारण बताते हुए कहा कि वह सिस्टम के नीतिगत फैसले पर अपना फैसला नहीं थोप सकता है। ऐसे में फ्लाईओवर बनाने का फैसला तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर अहमदाबाद नगर निगम ने लिया है। इस निष्कर्ष के साथ, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को खारिज कर दिया कि फ्लाईओवर के निर्माण से पेड़ों की कटाई, पुल बनाने वाली कंपनी के खराब ट्रैक रिकॉर्ड और क्षेत्र में यातायात कम होने के कारण हरित आवरण (Green Cover) कम हो जाएगा। जिससे अहमदाबाद नगर निगम को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 70 पन्नों के फैसले में याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विश्लेषण किया और कहा कि जब एएमसी जनता के व्यापक हित में फ्लाईओवर का निर्माण कर रही है, तो यह तर्क कि पुल का निर्माण पेड़ों को काटेंगे और हरित आवरण को कम करेंगे, यह अप्रासंगिक है। क्योंकि, एएमसी 30 लाख नए पेड़ लगाने जा रही है।

याचिकाकर्ता ने दी थी दलील

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि पिछले सालों में पंजरापोल और आईआईएम के बीच सड़क पर ट्रैफिक कम हो गया है, तो कोर्ट ने कहा कि केवल उस तर्क के आधार पर कोर्ट जनता के कल्याण के लिए बनाए जा रहे पुल के निर्माण को रोकने का आदेश नहीं दे सकता है। तीसरा, पुल निर्माण का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है उसका नाम रंजीत कंस्ट्रक्शन है, जबकि याचिकाकर्ताओं के ज्यादातर आरोप रंजीत बिल्डकॉन पर हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता की कोई भी दलील कायम नहीं रह सकी, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। फैसले के आखिर में, हाई कोर्ट ने कहा कि इस जनहित याचिका के कारण, पुल के निर्माण में पहले ही देरी हो चुकी है और आगे देरी से सार्वजनिक धन की हानि होगी और वास्तव में यह सार्वजनिक हित के विपरीत होगा। जर्जर सड़कों और बेढंगे सड़क डिजाइन के मुद्दे पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें निगम ने माना कि ट्रैफिक जंक्शनों और उसके आसपास ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए सड़क डिजाइन में बदलाव जरूरी है। सरखेज ने गांधीनगर राजमार्ग और विभिन्न क्षेत्रों की मुख्य सड़कों पर सड़क कटौती बंद करके यातायात समस्या में सुधार का प्रयास प्रस्तुत किया। हाईवे पर प्रवेश और निकास बिंदुओं के डिजाइन को बदलने का भी आश्वासन दिया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आग्रह किया कि हेलमेट नियमों का सख्ती से पालन अनिवार्य किया जाए; जबकि दोपहिया वाहन चालकों और पीछे की सीट पर बैठने वालों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य है, अदालत ने निर्देश दिया कि इस नियम का भी पालन किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने सरकार को गुजरात पुलिस में यातायात पुलिस के लिए एक अलग कैडर बनाने का भी सुझाव दिया और कांस्टेबल स्तर की भर्ती को जल्दी पूरा करने का भी आग्रह किया। ये भी पढें- गुजरात के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत; CM भूपेन्द्र पटेल ने नए ओवरब्रिज के लिए मंजूर किए 220 करोड़


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