पिछले दो दशक से अंधविश्वास व कुप्रथा के विरुद्ध जन-जन को जागरूक कर रहे हैं – डॉ. दिव्यज्योति सैकिया
दुमका : झारखंड में दुमका जिला के सरैयाहाट थाना क्षेत्र स्थित अस्वारी गांव में डायन बताकर एक ही परिवार की तीन महिलाओं और एक पुरुष को भयावह रूप से प्रताड़ित करने का शर्मनाक मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया गया और गर्म लोहे की छड़ों से शरीर को दागा भी गया।
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने पीड़ितों को बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया। बताया जाता है कि अस्वारी गांव के ही लोगों ने जादू-टोना करने के शक में तीन ग्रामीण महिलाओं- रसी मुर्मू (55), सोनमुनी टुड्डू (60) और कोलो टुड्डू (45) तथा श्रीलाल मुर्मू नामक 40-वर्षीय पुरुष की जमकर पिटाई की तथा उसके बाद उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया।
घटना की पुष्टि करते हुए पुलिस का कहना है कि पीड़ित परिवार इस कदर सहमा हुआ था कि किसी ने पुलिस से मदद मांगने की हिम्मत तक नहीं की। पुलिस बल मौके पर पहुंचकर चारों पीड़ितों को छुड़ाकर इलाज के लिए सरैयाहाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से चिकित्सक ने सोनामुनी टुड्डू और श्रीलाल मुर्मू की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उन्हें देवघर के एक अस्पताल भेज दिया।
पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। इस मार्मिक घटना की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने कहा कि इस तरह की जघन्य घटनाएं अशिक्षा के कारण घटित होती है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को शिक्षित करने के साथ ही इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया जाना चाहिए।
उनका कहना था कि केंद्र सरकार या फिर राज्य सरकार इस तरह की मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में कदम उठाने में नाकाम रही है जो सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण कहा जा सकता है। उनका कहना था कि आज भी देश के पिछड़े हिस्सों में शिक्षा की ज्योति नहीं पहुंच पाई है। इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार को लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है। इन्हीं मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वाले 42 वर्षीय असम में जन्मे डॉ दिव्यज्योति सैकिया (Dr. Dibyajyoti Saikia) पिछले दो दशक से अपना जीवन मानवता व शांति स्थापना के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
सैकिया ने असम के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी जनजातियों के बीच जाकर उनको अंधविश्वास व कुरीतियों के खिलाफ जागरूक करने के लिए मुहिम शुरू की। असम और छत्तीसगढ़ में दशकों पुरानी चली आ रही कुप्रथा, जिसमे किसी महिला (या पुरुष) को डायन या राक्षस बताकर समाजिक बहिष्कार कर दिया जाता था या उसे वर्षों वर्षों तक प्रताड़ित किया जाता रहा है। यहां तक कि उनकी हत्या भी की जाती रही हैं।
सैकिया असम के साथ-साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में लोगों के बीच जाकर इन कुप्रथाओं के खिलाफ जागरूकता लाने के साथ ही जमीनी स्तर पर काम किया। वो हमेशा शांतिदूत बनकर लोगों के लिए खड़े रहते हैं और शान्ति व्यवस्था स्थापित करने की अपील भी करते हैं। उन्होंने मानसिक रूप से विकार गस्त या गरीब बच्चों को सड़कों से उठाकर न केवल उनका इलाज करवाया बल्कि एनजीओ के हवाले करने से पहले उन्हें जरूरत की सामग्री भी मुहैया करवाई। इनमें असम के अलावा आसपास के कई राज्यों के बच्चे भी शामिल है। उन्होंने शिक्षा से वंचित गरीब किसान के बच्चों को अपनी जेब से पैसा खर्च कर किताब व कॉपी मुहैया करवाई है। 1999 से सामाजिक काम करने वाले डॉ. सैकिया ने 2009 से डायन अंधविश्वास कुप्रथा के विरुद्ध काम शुरू कर एक इतिहास रचा।
डॉ. सैकिया के प्रयासों से 2015 में असम विधानसभा में इसके खिलाफ एक विधेयक पारित हुआ। जिसे वर्ष 2018 में राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया। उसके बाद भी डॉ. सैकिया इसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वयित (इम्पलीमेंट) करने में लगे रहे। यह कानून है- 'द आसाम व्हिच हंटिंग PPP एक्ट 2015' आज इस कानून के चलते हज़ारों लोगों को प्रताड़ना व समाज निकाला जैसी कुरीतियों से मुक्ति मिल गयी। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने डॉ. दिव्यज्योति सैकिया को उनके मानवाधिकार सम्बन्धी आंदोलनों व कार्यों हेतु डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.