Mulayam Singh Yadav Funeral: पंचतत्व में विलीन ‘धरती पुत्र’, ‘नेताजी अमर रहें’ के नारों से गूंजा सैफई
Mulayam Singh Yadav Funeral: तीन बार उत्तर प्रदेश सरकार की गद्दी संभालने वाले और आठ बार विधायक व सात बार सांसद रहने वाले 'धरती पुत्र' मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। सैफई में बेटे अखिलेश यादव ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। इस दौरान मुलायम से सभी भाई, भतीजे, परिवार के करीबी लोगों समेत पक्ष और विपक्ष के नेता मौजूद रहे। मुखाग्नि देते ही चारों ओर 'जब तक सूरज चांद रहे, नेताजी आपका नाम रहेगा' के नारे गूंजने लगे।
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धरती पुत्र को मृत्यु सैय्या पर देख रोया सैफई
सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से मुलायम सिंह यादव का शव सैफई पहुंचा था। हालांकि नेताजी के निधन की सूचना पर ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन सैफई तो उनका घर था। लिहाजा यहां दुख ज्यादा था, क्योंकि यहां के लोगों ने अपने नेता, अपना धरती पुत्र खोया था। वरिष्ठ नेता कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव की पहचान ही दबे-कुचे, दलितों और कमजोरों की आवाज उठाने वाले के रूप में थी। आजादी से पहले जन्म लेने वाले मुलायम के अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ काफी सख्त तेवर थे। वहीं मुलायम को मृत्यु सैय्या पर देख पूरा सैफई रो पड़ा।
कमजोरों की आवाज उठाई तो मिली धरती पुत्र की संज्ञा
मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक मुलायम सिंह यादव छुआछूत के सख्त खिलाफ थे। काफी पुराने समय के एक घटनाक्रम पर गौर करें तो इसके बारे में पता चलता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बार मुलायम सिंह यादव के घर में विवाह कार्यक्रम था। तब उन्होंने घर बुलाकर दलितों और अन्य उपेक्षित वर्गों की दावत की थी। खुद भोजन परोसा था। बताते हैं कि नेताजी आज भी सभी वर्गों के लोगों के साथ समान व्यवहार और सम्मान रखते थे। उनकी इस खूबी से लोग बेहद प्रभावित होते थे, इसीलिए मुलायम सिंह यादव को 'धरतीपुत्र' की संज्ञा से नवाजा गया था।
जब जीगरी दोस्त की मौत पर दौड़े आए थे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह
वैसे तो कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव अपने किसी भी करीबी को भूलते नहीं थे। उनके बचपन का दोस्त हो या फिर जवानी के दिनों में राजनीति का साथी, वे सभी से अपना पूरा व्यवहार रखते थे। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कानपुर में उनके एक जीगरी दोस्त श्याम मिश्रा रहा करते थे। मुलायम के पिछड़ों, दलितों और कमजोर वर्गों के प्रति प्यार को देखते हुए श्याम मिश्रा ने ही उन्हें 'धरतीपुत्र' का नाम दिया था। श्याम मिश्रा के परिवार वालों ने प्रबल तरीके से इस बात को कहा कि नेताजी कानपुर आएं और श्याम मिश्रा से न मिले, यह कभी नहीं देखा।
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अधिकारियों में मच गया था हड़कंप, दौड़े भागे पहुंचे थे
श्याम मिश्रा के परिवार वालों ने मीडिया को बताया कि दोनों में गहरी दोस्ती थी। मुलायम अपने जीगरी दोस्त को श्याम दद्दा कहते थे। श्याम मिश्रा विधायक भी रहे हैं। वर्ष 2007 में जब मुलायम सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब श्याम मिश्रा का निधन हो गया। जब यह बात तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पता चली तो वह सारे प्रोटोकॉल तोड़कर सीधे कानपुर पहुंच गए। कानपुर प्रशासन को जब यह पता चला तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कमिश्नर समेत पूरे मंडल के अधिकारियों का जमावड़ा लग गया था। श्याम के परिवार वाले कहते हैं कि मुलायम ही थे असल धरतीपुत्र।
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