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सुप्रीम कोर्ट की वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई! जस्टिस बेला त्रिवेदी बिना विदाई समारोह के चली गईं!

जस्टिस गवई ने कहा कि अलग-अलग तरह के जज होते हैं। जस्टिस त्रिवेदी ने अपने पूरे जज के करियर में स्पष्टता के साथ बात रखी। बिना किसी भय के फैसले दिए और खूब मेहनत की। वह सुप्रीम कोर्ट की एकता और अखंडता में यकीन रखने वाली जज रही हैं।

जस्टिस बेला त्रिवेदी
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बेल एम त्रिवेदी के कार्यकाल का आज आखिरी दिन था। हालांकि वो 9 जून को रिटायर हो रही हैं। लेकिन इस बीच वो छुट्टी पर रहेंगी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में रिटायरमेंट की औपचारिकता आज ही निभा दी गई। जस्टिस बेला त्रिवेदी के लिए सेरेमोनियल बेंच की परंपरा निभाई गई। सेरेमोनियल बेंच में जस्टिस बेला त्रिवेदी के साथ CJI जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह बैठे थे।

बिना किसी भय के फैसले दिए और खूब मेहनत की

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई ने जस्टिस बेला त्रिवेदी को शानदार जज बताया। अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल सहित तमाम लोगों ने अच्छी बातें की। लेकिन मुख्य न्यायाधीश इस बात से दुःखी थे कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस बेला त्रिवेदी के लिए फेयरवेल कार्यक्रम नहीं करने का फैसला किया था। जस्टिस गवई ने कहा कि अलग-अलग तरह के जज होते हैं। जस्टिस त्रिवेदी ने अपने पूरे जज के करियर में स्पष्टता के साथ बात रखी। बिना किसी भय के फैसले दिए और खूब मेहनत की। वह सुप्रीम कोर्ट की एकता और अखंडता में यकीन रखने वाली जज रही हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जो स्टैंड लिया है, वह सही नहीं है।

जस्टिस बेला त्रिवेदी एक शानदार जज

जस्टिस गवई ने आगे कहा कि मैं खुलकर बात करने वाला व्यक्ति हूं, इसलिए स्पष्ट कह रहा हूं कि यह गलत है। उन्होंने कहा कि बेंच के सामने फुल हाउस की मौजूदगी बताती है कि फैसला सही है। जस्टिस बेला त्रिवेदी एक शानदार जज रही हैं।' जस्टिस मसीह ने अपनी स्पीच में कहा कि जस्टिस त्रिवेदी को बार एसोसिएशन द्वारा विदाई दी जानी चाहिए थी। उन्होंने जस्टिस त्रिवेदी द्वारा जज के रूप में दिखाए गए स्नेह की भी सराहना की।सेरेमोनियल बेंच के सामने जब CJI ये सब बोल रहे थे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और वाइस प्रेसिडेंट रचना श्रीवास्तव मौजूद थी। जस्टिस गवई ने उनकी मौजूदगी की तारीफ की।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने क्यों नहीं दिया फेयरवेल

जस्टिस बेला त्रिवेदी के रिटायरमेंट पर फेयरवेल आयोजित नहीं करने की कई वजहें बताई जा रही है। उनमें पहला है कोर्ट में उनका सख्त अनुशासन और नियमों के प्रति कठोर होना। बार के मेंबर यानी वकील उनकी सख्ती से परेशान थे। जस्टिस त्रिवेदी नियमों के मामले में पाबंद थीं। जैसे सामान्यतया किसी केस में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुनवाई के समय कोर्ट में मौजूद रहे इसकी जरूरत नहीं होती है। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी के सामने मामला आता था तो पहले पूछती थीं कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कौन है और कहां है ! अगर कोर्ट में नहीं है तो क्यों नहीं है! एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, वो वकील होता है जिसके नाम से केस दाखिल होता है। बहस कोई और वकील करता है। इसके अलावा वकीलों को उनसे एक और दिक्कत थी। किसी भी केस में एक से अधिक वकील अपनी हाजिरी लगाना चाहते हैं। और कोर्ट अपने ऑर्डर में उनका नाम लिखाता भी है। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी अपने ऑर्डर में केवल उन वकीलों का नाम लिखातीं थीं जो बहस करते थे या जिनके नाम से वकालतनामा होता था।

सीबीआई जांच का दिया था आदेश

वहीं इसके अलावा एक और घटना है जिससे बार के मेंबर नाराज थे। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में फर्जी केस दायर हुआ। जिसके नाम से केस दायर हुआ था उसे पता ही नहीं था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों की मिली भगत की आशंका थी। मामला जस्टिस त्रिवेदी के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील चाहते थे कि इंटरनल जांच करके मामले को रफा-दफा कर दिया जाए। लेकिन जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बार एसोसिएशन के अनुरोध को नकार दिया। सीबीआई जांच का आदेश दे दिया।

वर्षों पुरानी परंपरा टूटी

जस्टिस बेला त्रिवेदी को फेयरवेल न देने के पीछे कारण चाहे जो भी हो, सुप्रीम कोर्ट की एक वर्षों पुरानी परंपरा टूटी है। इस परंपरा के टूटने से सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी आहत होंगे। अगर आने वाले समय में कुछ और जज भी रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट के अन्य रिटायर होने वाले जजों ने बार एसोसिएशन से फेयरवेल नहीं लेने का फैसला लिया तब क्या होगा! कुछ परंपरा बचाए जाने योग्य होती हैं। सुप्रीम कोर्ट में जजों रिटायर होने पर विदाई समारोह का आयोजन एक ऐसी ही परंपरा है।


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