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RSS प्रमुख भागवत ने किया पृथ्वी सूक्त पुस्तक का विमोचन, बोले- भारत स्टेट नेशन है, नेशन स्टेट नहीं

Delhi News: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें विविधता में भी अपनी मूल एकता को ध्यान में रखते हुए परस्पर व्यवहार का उत्तम आदर्श दुनिया के सामने लाना चाहिए।

RSS chief Bhagwat released the book Prithvi Sukta: नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमें पृथ्वी के प्रति भक्ति, प्रेम, समर्पण और त्याग की भावना रखनी चाहिए और जीवन को तमस से ज्योति की तरफ ले जाना चाहिए। उन्होंने यह बात नई दिल्ली के डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में प्रकाशित पुस्तक पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि के विमोचन के अवसर पर कही। इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किताबवाले प्रकाशन द्वारा किया गया।

विविधता में मूल एकता के उत्तम आदर्श को लाना चाहिए दुनिया के सामने

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें विविधता में भी अपनी मूल एकता को ध्यान में रखते हुए परस्पर व्यवहार का उत्तम आदर्श दुनिया के लाना चाहिए। पुस्तक के लेखक श्री रंगा हरि जी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि रंगा हरी जी सदैव कर्मशील रहे हैं। उनके सानिध्य मात्र से हम समृद्ध होते हैं।

ज्ञान के बाद परमात्मा और जीवात्मा का अंतर खत्म हो जाता है

पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा आदर्श एकात्मता है। एकात्माता के ज्ञान के बाद परमात्मा और जीवात्मा का अंतर खत्म हो जाता है। इस पुस्तक के लेखक श्री रंगा हरि एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं, जिन्होंने अपना जीवन साहित्य और समाज सेवा के लिए समर्पित किया। उनका जन्म 12 मई, 1930 को कोच्चि में हुआ। अप्रैल 1951 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर, संघ की विभिन्न भूमिकाओं में रहते हुए उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और अटूट समर्पण का परिचय दिया। श्री रंगा हरि जी एक बहुआयामी लेखक हैं, जिन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं।

किताब पृथ्वी के साथ मनुष्य के संबंधों पर डालती है प्रकाश 

बता दें कि पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में मौजूद ज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत करती है। अंग्रेजी एवं हिंदी में लिखी गई यह किताब पृथ्वी के साथ मनुष्य के संबंधों पर प्रकाश डालती है, और ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जो मानवतावाद को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ती है। यह पुस्तक देशभक्ति, राष्ट्रवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता से अन्तर्निहित होकर भौतिकवाद और आध्यात्मिकता के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाती है। श्री रंगा हरि की कुशल व्याख्या न केवल समयानुकूल है बल्कि विश्व स्तर पर भी जरूरी मुद्दों को उठाती है।इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में साहित्यकार, एकेडमिशियन, लेखक और समाज के कई गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए।

विविधता में एकता नहीं, एकता में विविधता है

साथ ही मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को विद्वान बताते हुए कहा कि जब उनसे वह मिलते थे तो वह कहते थे कि हमारे देश का संविधान ही सेकुलर है। जब भी उनके साथ बैठते थे तो बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता था। भागवत ने कहा कि भारत को दुनिया को बताना होगा कि विविधता में एकता नहीं, एकता में विविधता है। सुरक्षा का एक ही उपाय है, सभी एकत्र रहो। जी20 पहले अर्थ आधारित संस्था थी। उसको हमने वसुधैव कुटुंबक देकर मानव आधारित संस्था बनाया, ये हमारी प्रकृति है। हमें कोई क्या प्लूरलिस्टिक सोसाइटी बताएगा, ये हमारे संविधान में है लेकिन केवल संविधान ही नहीं बल्कि हम पांच हजार वर्ष से ये दुनिया को बताते आए हैं।

दुनिया की सुरक्षा का एक ही उपाय है, सभी एकत्र रहो, साथ रहो

पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने प्रणब मुखर्जी को विद्वान बताया। कहा कि जब उनसे वह मिलते थे तो वह कहते थे कि हमारे देश का संविधान ही सेकुलर है। जब भी उनके साथ बैठते थे तो बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता था।
  • भारत को दुनिया को बताना होगा कि विविधता में एकता नहीं, एकता में विविधता है।
  • दुनिया की सुरक्षा का एक ही उपाय है, सभी एकत्र रहो, साथ रहो।
  • अरब देशों को एक रिलीजन के आधार पर एक रखा है।
  • नेशनलिज्म का सबसे ताजा उदाहरण हिटलर है, इसलिए बाहर के देशों में लोग डरते हैं, हमारे यहां ऐसा नहीं।
  • जी20 पहले से अर्थ आधारित संस्था थी, उसको हमने वसुधैव कुटुंबक देकर मानव आधारित संस्था बनाया, ये हमारी प्रकृति है।
  • घर वापसी को हंगामा मचा। इस बीच, हम रंगा हरी से मिलने केरल गए, रंगा हरी केवल अकेले ऐसे शख्स थे, उनके पास बैठने से बहुत कुछ सीखने को मिलता था।
  • भारत स्टेट नेशन है, नेशन स्टेट नहीं
  • हमें कोई क्या प्लूरलिस्टिक सोसाइटी बताएगा, ये हमारे संविधान में है लेकिन केवल संविधान ही नहीं बल्कि हम 5 हजार वर्ष से ये दुनिया को बताते आए हैं, ऐसी ही हमारी संस्कृति है।
  • सारी पृथ्वी एक है ये हमारे लिए थ्योरी नहीं है। हमारी मानस और सोच यही है। इतने प्रकार के लोग हमारे देश में हैं, वे सारे सभी आपस में ना लड़ें। हम आपने आप को समर्थ बनाए वो ठीक है और दुनिया को भी ये ज्ञान दें।
  • दुनिया को ये ज्ञान देने वाला भारत खड़ा हो और उसके लिए जो सामर्थ्य चाहिए।
  • पुस्तक का अध्ययन करके देश की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का विचार करना चाहिए।


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