Manish Sisodia Gets Parole: शराब नीति घोटाला मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत मिली है। उन्हें कोर्ट ने पत्नी से मिलने के लिए पैरोल दी है। उन्हें ये पैरोल एक दिन के लिए मिली है। दरअसल, उनकी पत्नी की तबीयत खराब है। इसके चलते उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें पत्नी से मिलने दिया जाए। सोमवार को उन्हें कोर्ट ने राहत दे दी।
सप्ताह में एक बार पत्नी से मिलने की इजाजत
जानकारी के अनुसार, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस कस्टडी पैरोल के तहत सिसोदिया को सप्ताह में एक बार अपनी पत्नी से मिलने की इजाजत दी है। मीटिंग के दौरान डॉक्टर भी उनसे मिल सकेंगे। कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी। वहीं दूसरी ओर राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी नियमित जमानत पर सुनवाई 12 फरवरी को दोपहर 2 बजे तय की है।
पहले भी दी गई थी पैरोल
बता दें कि इससे पहले मनीष सिसोदिया को पिछले साल नवंबर में दिवाली के दौरान पत्नी से मिलने के लिए कस्टडी पैरोल दी गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने जून में भी सिसोदिया को पत्नी सीमा से मिलने की अनुमति दी थी। सीमा मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित हैं।
न्यायिक हिरासत 22 फरवरी तक बढ़ाई गई
इस बीच सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 22 फरवरी तक बढ़ा दी गई है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सिसोदिया की जमानत अपील पर क्यूरेटिव पिटिशन को लिस्ट करने पर सहमत हो गया। सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं।
पहले खारिज कर दी गई थी याचिका
उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष इसे तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी। सीजेआई ने इस पर सहमति जताई। इससे पहले पिछले साल 30 अक्टूबर को जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसी पीठ ने 13 दिसंबर 2023 को समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी थी।
7 फरवरी को सुनवाई
वहीं दूसरी ओर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले में ईडी की ओर से पांच समन भेजने के बावजूद पूछताछ में शामिल नहीं हुए हैं। केजरीवाल ने कहा कि यदि कोर्ट पूछेगी, तो हम जवाब जरूर देंगे। इस मामले में 7 फरवरी को सुनवाई होनी है।
क्या है शराब नीति घोटाला?
दिल्ली का शराब नीति घोटाला देशभर में चर्चा का विषय रहा। इस मामले में AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी गिरफ्तार हो चुके हैं। सिसोदिया पर आरोप हैं कि उन्होंने बड़े शराब कारोबारियों को राहत पहुंचाने के लिए नीति में बदलाव किया। इस नीति के तहत सभी 100 प्रतिशत दुकानें प्राइवेट हो गईं। इससे पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत सरकारी हाथों में थीं।