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Lok Sabha Election 2024: पूर्वी द‍िल्‍ली को आज भी मह‍िला सांसद का इंतजार, जानें क्या हैं समीकरण?

East Delhi Lok Sabha Seat Analysis: दिल्ली की पूर्वी लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस-AAP गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। सीट से एक इतिहास यह भी जुड़ा है कि जब-जब यह सीट कांग्रेस ने जीती, तब-तब केंद्र में पार्टी की सरकार बनी।

दिल्ली की पूर्वी सीट पर इस बार कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।
East Delhi Lok Sabha Seat Political Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 में दिल्ली के 7 संसदीय क्षेत्रों में से पूर्वी दिल्ली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। भाजपा और कांग्रेस-AAP गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। कांग्रेस इस बार पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव नहीं लड़ रही, क्योंकि इस बार कांग्रेस पूरे देश में INDIA गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ रही है। दिल्ली में सीट शेयरिंग करते हुए कांग्रेस ने पूर्वी दिल्ली की सीट आम आदमी पार्टी को दे दी, जिसने इस सीट से कुलदीप कुमार को चुनावी रण में उतारा है। भाजपा ने हर्ष मल्होत्रा को टिकट दिया है। यह भी पढ़ें:नई पार्टी, नया सिंबल, फिर भी बहुमत; Indira Gandhi की ताकत दुनिया ने देखी, पहले मध्यावधि चुनाव की रोचक कहानी 58 साल में एक भी महिला चुनाव नहीं जीती पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र 1966 में बना था। इसमें 10 विधानसभा क्षेत्र विश्वास नगर, लक्ष्मी नगर, कोंडली, पटपड़गंज, कृष्णा नगर, ओखला, गांधी नगर, जंगपुरा, त्रिलोकपुरी, शाहदरा हैं। ओखला, जंगपुरा सीटें मुस्लिम बहुल हैं। साल 2019 में पूर्वी दिल्ली से भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीता था और गौतम गंभीर सांसद चुने गए थे, लेकिन इस बार ऐन मौके पर उन्होंने पार्टी छोड़कर क्रिकेट की दुनिया का रूख कर लिया। वहीं इस लोकसभा सीट का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि जब से यह सीट अस्तित्व में आई, तब से आज तक किसी महिला नेता ने इस सीट से चुनाव नहीं जीता। यह भी पढ़ें:UP की इस ‘सेलिब्रिटी’ सीट पर BJP की साख दांव पर, इंडिया गठबंधन ने झोंकी ताकत लोकसभा सीट की बड़ी ताकत इसके मतदाता रिकॉर्ड के अनुसार, 2009 तक पूर्वी दिल्ली सीट कांग्रेस का गढ़ रही। 2009 का लोकसभा चुनाव स्वर्गीय शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने जीता था, लेकिन 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा नेता महेश गिरी ने जीता और 2019 के चुनाव में भी भाजपा के गौतम गंभीर सांसद बने। अगर इतिहास की बात करें तो 1967 के पहले चुनाव और 1991 के चुनाव को छोड़कर बाकी चुनाव में कांग्रेस जीती और जब-जब कांग्रेस ने यह सीट जीती, तब-तब पार्टी की केंद्र में सरकार बनी। इस लोकसभी सीट की सबसे बड़ी ताकत इसके हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। यह भी पढ़ें:हैट्रिक की तैयारी में जुटे ‘चौधरी’, सामने है नया ‘चेहरा’ राजस्थान की इस सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला


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