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दिल्ली हाईकार्ट की अहम टिप्पणी, शादी के बाद SEX के लिए मना करना अभिशाप के समान; 18 साल में केवल 35 दिन साथ रहे पति पत्नी

Delhi High Court Important comment on marital sex: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की बेंच ने एक याचिका पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्नी या पति द्वारा जानबूझकर यौन संबंध बनाने से इंकार करना क्रूरता के समान है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला की याचिका को खारिज कर दिया। […]

Delhi High Court Important comment on marital sex: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की बेंच ने एक याचिका पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्नी या पति द्वारा जानबूझकर यौन संबंध बनाने से इंकार करना क्रूरता के समान है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला की याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि महिला ने अपने पति के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, उसे साबित करने में वह पूरी तरह से असफल रही है। इतना ही नहीं 18 साल तक पति को यौन संबंध से वचित रखने को गंभीर मसला करार दिया। बताया जा रहा है कि पति-पत्नी का रिश्ता मुश्किल से 35 दिनों तक ही चल पाया था और संबंध न बन पाने के कारण शादी टूट गई।

पत्नी कोर्ट को प्रताड़ित किए जाने का नहीं दे सकी सबूत

हाईकोर्ट की सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षा वाली बेंच ने तलाक देने के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि यौन संबंध के बिना शादी एक अभिशाप है, यौन संबंध में निराशा से अधिक घातक शादी के लिए कुछ भी नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि पत्नी के विरोध के चलते शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। पत्नी ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है, जिसके बारे में वो कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी थी, कोर्ट ने कहा कि इसे क्रूरता भी कहा जा सकता है।

कोर्ट ने कहा- शादी रही विफल

कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले न केवल पति-पत्नी के बीच शादी बमुश्किल 35 दिनों तक चली, बल्कि वैवाहिक अधिकारों से वंचित होने और विवाह समापन की सहमति न होने के कारण पूरी तरह से विफल हो गई। कोर्ट ने शादी के बाद के 18 साल से ज्यादा समय का जिक्र करते हुए कहा कि इस अवधि के दौरान महिला ने अपने वैवाहिक घर में जिंदगी गुजारी, जबकि यह शादी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी।

2004 में हुई थी शादी

बता दें कि पति-पत्नी की 2004 में हिंदू रीति-रिवाजों के साथ हुई थी, पत्नी शादी के बाद जल्द ही अपने माता-पिता के घर वापस चली गई और फिर वापस नहीं लौटी। इसके बाद पति ने क्रूरता और परित्याग किए जाने के आधार पर तलाक के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद कोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक का फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट भी मान चुका है वैवाहिक जीवन में यौन संबंध बनाना अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसले में कह चुका है कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का यौन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। हालांकि, इस फैसले का कई लोगों ने विरोध भी किया, बहरहाल ये मामला समय-समय पर बहस का मुद्दा बन जाता है।


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