Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में इस वर्ष वायु गुणवत्ता में बड़े स्तर पर सुधार दर्ज किया गया है. केंद्र सरकार के अनुसार 2025 में दिल्ली में अच्छे AQI वाले दिनों (AQI 200 से कम) की संख्या बढ़कर 200 हो गई, जबकि 2016 में ऐसे केवल 110 दिन थे. बहुत खराब और गंभीर श्रेणी वाले AQI दिनों की संख्या भी पिछले वर्ष 71 से घटकर इस वर्ष 50 रह गई. 2018 से 2025 के बीच (कोविड वर्ष 2020 को छोड़कर) यह अब तक का सबसे बेहतर औसत AQI रहा है. सरकार का कहना है कि NCR की हवा में सुधार के कई कारणों में से एक कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में आई भारी कमी भी है, जिसमें 2022 की तुलना में इस वर्ष 90 प्रतिशत गिरावट देखी गई है.
लोकसभा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि इस वर्ष 15 सितंबर से 30 नवंबर 2025 के बीच पंजाब में पराली जलाने की कुल 5,114 घटनाएं दर्ज की गईं. मंत्रालय के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे पराली प्रबंधन कार्यक्रमों, सख्त निगरानी, कानूनी कार्रवाइयों और मशीनों की उपलब्धता ने इस गिरावट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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सरकार ने बताया कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जरूरी मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनके लिए भारी आर्थिक सहायता दी जाती है. 2018–19 से अब तक राज्यों को कुल 4,090.84 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिनसे 3.45 लाख से अधिक मशीनें किसानों को दी गईं और 43,270 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए. सरकार ने छोटे किसानों को यह मशीनें बिना किराये के उपलब्ध कराने के निर्देश भी जारी किए हैं. इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा में ईंट भट्ठों में बायोमास पैलेट का उपयोग अनिवार्य किया गया है और थर्मल पावर प्लांटों को भी 5 से 10 प्रतिशत तक फसल अवशेष आधारित ईंधन मिलाने के लिए कहा गया है.
सरकार ने यह भी बताया कि निगरानी को मजबूत करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 31 फ्लाइंग स्क्वॉड पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में तैनात किए गए, जो रोजाना अपनी रिपोर्ट, तस्वीरें और अनुपालन स्थिति साझा कर रहे थे. केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान लागू किया है.
सरकार का कहना है कि विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों के बीच समन्वय, नियमित बैठकों, मशीनों की उपलब्धता और सख्त कदमों के चलते पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है, जिसका सीधे तौर पर प्रभाव दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता पर पड़ा है.