दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल लीडरशिप फोरम 2025 में अपने भाषण के दौरान युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे सिर्फ नौकरी की तलाश न करें, बल्कि खुद उद्यमी बनकर दूसरों को भी रोजगार दें। उन्होंने उच्च शिक्षा व्यवस्था की खामियों को लेकर चिंता जताई और कहा कि भारत की युवा आबादी हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है, लेकिन अगर उन्हें सही दिशा और अवसर नहीं मिले तो यह बेरोजगारी और अस्थिरता का कारण भी बन सकती है।
दिल्ली के बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम का उदाहरण देते हुए आतिशी ने कहा कि इस प्रोग्राम में स्टूडेंट्स केवल ₹2,000 के शुरुआती निवेश के जरिए सालाना 50,000 स्टार्टअप शुरू करते हैं। उन्होंने कहा, “अगर भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है तो अकेले राजनेता इसे हासिल नहीं कर सकते। हम सभी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।” "भारत में उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य" विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "आज भी हमारे देश में बहुत असमानता है। जब हम उच्च शिक्षा को देखते हैं तो एक ओर जहां विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी हजारों छात्रों को बेहतरीन शैक्षणिक संसाधन देती हैं, वहीं कुछ ऐसी यूनिवर्सिटीज भी हैं जो इस तथ्य के लिए जानी जाती हैं कि आपको अपनी डिग्री हासिल करने के लिए वास्तव में यूनिवर्सिटी जाने की जरूरत तक नहीं है।"
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अधिक जनसंख्या खतरनाक या वरदान
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की जनसंख्या में बड़ी संख्या में युवा होना देश के लिए या तो तरक्की का जरिया बन सकता है या फिर समाज में अस्थिरता ला सकता है। उन्होंने कहा, "हर महीने 2035 तक 10 लाख भारतीय 18 साल के हो जाएंगे। यह जनसंख्या लाभ देश के लिए वरदान भी बन सकता है और अभिशाप भी।" आतिशी ने समझाया, "अगर सही दिशा में काम किया जाए तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का जरिया बन सकता है, जैसे पहले दुनिया के कई विकसित देश इसी जनसंख्या लाभ के दम पर आगे बढ़े थे।"
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आतिशी ने कहा, “जब हम उच्च शिक्षा की बात करते हैं तो यह कोई कठिन या समझ से बाहर की चीज नहीं है। हमारे देश का भविष्य, हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती और हमारे समाज की स्थिरता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारी उच्च शिक्षा किस दिशा में जा रही है। सिर्फ यह मायने नहीं रखता कि हमारे पास कितने 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के युवा हैं। आज भारत में करीब 25 करोड़ बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा अवसर है आर्थिक तरक्की के लिए, लेकिन अगर इसे सही दिशा न दी जाए, तो यह समाज में बड़ी अस्थिरता भी पैदा कर सकता है।”
नौकरी को लेकर उठाए सवाल
उन्होंने युवाओं से जुड़ी चिंताजनक आंकड़ों को भी सामने रखा। 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 4.33 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे हैं और हर साल करीब 1.5 करोड़ युवा इनमें दाखिला लेते हैं। इनमें से करीब 60% छात्र पारंपरिक कोर्स जैसे बी.ए. और बी.कॉम करते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य सरकारी नौकरी की तैयारी होता है। हालांकि, सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए स्थिति निराशाजनक है। आतिशी ने बताया, “2014 से 2022 के बीच भारत में 22 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन इनमें से केवल 7.2 लाख को ही नौकरी मिली – 10 लाख भी नहीं। यह सिर्फ 0.32% है।” उन्होंने कहा, “इनमें से कई लोगों ने अपनी जिंदगी के 10 साल इन परीक्षाओं की तैयारी में बिता दिए होंगे।”
आतिशी ने कहा कि सिर्फ नीतियों से नहीं, बल्कि सोच में बदलाव की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, “हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था, हमारा पूरा पारिवारिक और सामाजिक ढांचा – परिवार, पड़ोसी, रिश्तेदार – जब बच्चा स्कूल में होता है और खासकर अगर वो पढ़ाई में अच्छा होता है, तो उससे बस एक ही बात कही जाती है: एक अच्छी नौकरी पाओ। और सबसे अच्छी नौकरी मानी जाती है सरकारी नौकरी, क्योंकि वो सुरक्षित होती है।”
आतिशी ने कहा कि यह जोखिम से डरने वाली मानसिकता भारतीयों की स्वाभाविक उद्यमिता भावना के बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा, “भारतीय हमेशा से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाकर उद्यमी रहे हैं। आपने ऐसे भारतीयों को देखा होगा जिन्होंने उन देशों में, जहां उन्हें भाषा नहीं आती थी, जहां कोई आर्थिक मदद नहीं थी, और कोई जान-पहचान भी नहीं थी , वहां जाकर अपना बिजनेस शुरू किया।”
दिल्ली की योजनाओं का जिक्र
युवाओं में इसी उद्यमशील सोच को बढ़ावा देने के लिए, आतिशी ने अरविंद केजरीवाल सरकार के समय दिल्ली सरकार में शुरू की गई पहलों का ज़िक्र किया। खासतौर पर कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए शुरू किया गया एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम, जिसके तहत Business Blasters प्रोजेक्ट चलाया गया, जिसमें हर छात्र को ₹2,000 की सीड मनी दी जाती है ताकि वे खुद का छोटा बिजनेस शुरू कर सकें। पिछले चार वर्षों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों से हर साल लगभग 50,000 स्टार्टअप आइडियाज़ सामने आए हैं।
आतिशी ने अपने भाषण का अंत एक स्पष्ट संदेश के साथ किया — उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे सिर्फ सुरक्षित करियर विकल्पों तक खुद को सीमित न रखें, बल्कि यह सोचें कि वे देश के भविष्य को किस तरह बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने कहा, “अगर भारत को एक विकसित देश बनना है, अगर हर युवा — चाहे वो मेट्रो सिटी से आता हो, छोटे कस्बे से, या ग्रामीण भारत से — उसके लिए रोजगार और अवसर सुनिश्चित करने हैं, तो यह सिर्फ नेताओं की जिम्मेदारी नहीं है। हम सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।”