दिल्ली सरकार में पीडब्लूडी मंत्री परवेश सिंह वर्मा ने गुरुवार को वजीराबाद बैराज पहुंचे। मालूम हो कि वाजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति की जाती है। यहां परवेश वर्मा ने जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ पहुंचकर इसका निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पूरे प्लांट का न सिर्फ जायजा लिया, बल्कि जो पानी पूरी दिल्ली के घरों में पहुंचता है, उसे पीकर टेस्ट किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को पानी की गुणवत्ता बढ़ाने का निर्देश दिया।
बढ़ाई जाएगी जल भंडारण क्षमता
माना जा रहा है कि अगले एक से डेढ़ महीने में पोंडेज क्षेत्र की खुदाई पूरी होने की उम्मीद है। इसके पूरा होते ही, यहां पानी की भंडारण क्षमता दोगुनी हो जाएगी, जिससे गर्मियों में जल संकट से निपटने में सहायता मिलेगी। वहीं, हरियाणा से भी जल आपूर्ति की पूरी मदद मिलेगी। हरियाणा से दिल्ली को उसके समझौते के अनुसार पूरा पानी मिल रहा है। अब तक जल आपूर्ति में कोई कमी नहीं आई है। यदि कभी अतिरिक्त जल की जरूरत होगी, तो इसे आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना से निपटा लिया जाएगा। जाहिर तौर पर हरियाणा में बीजेपी की सरकार है, वहीं 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी है। ऐसे में दोनों राज्यों में अब समन्वय नजर आएगा।
गिरेगा अमोनिया का स्तर!
जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यमुना की सफाई सबसे ज्यादा जरूरी है। आवश्यक है। जल में अमोनिया का स्तर नियंत्रित रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है।
वहीं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी STP और जल शोधन कार्य को भी दुरुस्त किया जा रहा है। दिल्ली में कुल 37 बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) हैं। इनमें से 30 को आउटसोर्स किया गया है, जबकि बाकी बचे प्लांट्स दिल्ली जल बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। सभी STP की निगरानी के लिए IT डैशबोर्ड विकसित किया जा रहा है। सरकार द्वारा पर्याप्त धनराशि दी जा रही है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि संपूर्ण सीवेज प्रभावी रूप से ट्रीट हो रहा है या नहीं। प्रत्येक STP का जल ग्रहण और निकासी डेटा मॉनिटर किया जा रहा है।
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जल संग्रहण की क्षमता
आपको बता दें कि वजीराबाद बैराज की कुल क्षमता 220 MGD यानी मिलियन गैलन प्रति दिन है, लेकिन वर्तमान में केवल 110 MGD जल ही संग्रहित किया जा रहा है, यानी कुल क्षमता का केवल 50% उपयोग हो रहा है। बैराज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीमित क्षेत्र में डी-सिल्टिंग, जिसे आसान शब्दों में गाद निकालना भी कहते हैं, इसका काम किया जा रहा है। इसके तहत, पीछे के एक किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तार किया जाएगा ताकि जल संग्रहण की क्षमता को और बढ़ाया जा सके।
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य दिल्ली में पानी की आपूर्ति को सुचारू बनाना और गर्मियों के दौरान जल संकट को कम करना है।