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Delhi Elections: ‘आप’ और ‘भाजपा’ के लिए चुनाव जीतना बड़ा चैलेंज, 10 पॉइंट में जानें कैसे?

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आप और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। इस चुनाव में आप के अलावा बीजेपी और कांग्रेस भी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही है।

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आज वोटिंग की जा रही है। दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 1.56 करोड़ वोटर हैं, जो 699 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू होकर शाम 6 बजे जारी रहेगी। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। वहीं, इस बार बीजेपी और कांग्रेस ने आप को यमुना की सफाई मुद्दे पर लगातार घेरा है। दिल्ली में फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है,  जिसमें कांग्रेस भी फिर से वापसी की कोशिश में लगी है। 1- दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पिछले दो चुनावों में शानदार जीत दर्ज हासिल की है। इसके बाद से सरकार पर शराब नीति को लेकर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं। 2- दिल्ली में इस बार भाजपा अपनी जीत का दावा कर रही है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में बड़ी-बड़ी रैलियां की गईं। इसके अलावा दिल्ली की राजनीति में 10 साल तक रहने रहने के बाद कांग्रेस भी वापसी की उम्मीद के साथ मैदान में उतरी है। 3- केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत उनके कई मंत्री महीनों तक जेल में रहे। इस दौरान आप प्रमुख मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। जिसके बाद आतिशी को सीएम का पद सौंप दिया गया। उन्होंने कहा था कि लोगों से ईमानदारी का प्रमाणपत्र मिलने के बाद केजरीवाल अब सीएम बनेंगे। 4- आप सरकार का कई मुद्दों पर उपराज्यपाल के साथ टकराव देखने को मिला है। जिसकी वजह से आप की मुश्किल बढ़ी है। 5- सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट निर्णय के बावजूद सरकार के पास अभी सारी शक्तियां हैं। जबकि एलजी के पास लैंड, पब्लिक ऑर्डर और पुलिस है। केंद्र सरकार ने एलजी को नौकरशाहों पर अधिकार दिया है। 6- शराब घोटाले मामले में मनीष सिसौदिया और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई। यह गिरफ्तारी उपराज्यपाल की मंजूरी से ही की गई थी। केजरीवाल को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था, जो लगभग 6 महीने जेल में रहे। वहीं, मनीष सिसौदिया 17 महीने तक जेल में रहे थे। 7- केजरीवाल और मनीष सिसौदिया आप के जिन बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया, उनमें संजय सिंह, सत्येन्द्र जैन और अमानतुल्ला खानका नाम भी शामिल है। चूंकि आप गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के दम पर सत्ता में आई। ऐसे में पार्टी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप सुर्खियों में रहे। 8- AAP ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान केवल 48 दिनों के बाद कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया था। 2015 में केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से माफी मांगते हुए एक और मौका मांगा। 9- आम आदमी पार्टी ने शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया। दिल्ली मॉडल ने आप को पंजाब में भी सफलता दिलाई। इससे पार्टी को दूसरे राज्यों में विस्तार करने में मदद मिली। 10- अगर इस बार दिल्ली में आप की हार हुई, तो यह 10 साल पुरानी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा। वहीं, दिल्ली में भाजपा की जीत पार्टी को एक निडर राइवल के तौर पर स्थापित करेगी। ये भी पढ़ें: Delhi Elections: 70 सीटें, 1.55 करोड़ वोटर्स, 699 उम्मीदवार…चुनावी आंकड़ों और तैयारियों पर एक नजर


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