महिला रोगियों की जांच और इलाज के लिए अब साथ में अन्य महिला का होना अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली एम्स द्वारा जारी नए आदेश के तहत अगर किसी महिला मरीज के साथ कोई और महिला या फिर कोई तीमारदार नहीं है, तो उसकी जांच नहीं की जाएगी। 22 अप्रैल से अस्पताल प्रशासन ने सभी डॉक्टरों और डिपार्टमेंट में यह फरमान जारी कर दिया है। साथ ही, प्रशासन ने सभी को इस नियम का सख्ती से पालन करने का भी आदेश दिया है। अगर कोई इस नियम को गंभीरता से नहीं लेता है, तो प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
अधिकतर अस्पतालों में नियम लागू मगर पालन नहीं
एमसीआई और मौजूदा एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) के मुताबिक, महिला मरीजों की जांच और इलाज के लिए यह दिशा-निर्देश पहले से मौजूद हैं। मगर ज्यादातर अस्पतालों में इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। कुछ दिनों पहले ही गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ICU में भर्ती एक महिला मरीज के साथ यौन शोषण की घटना सामने आई थी। इस घटना के बाद अस्पतालों में महिला मरीजों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे हैं।
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मीडिया डिविजन ने शिकायत से किया इंकार
एम्स के मीडिया डिविजन ने ऐसी किसी भी शिकायत से इन्कार किया है। उनका कहना है कि यह एक नियमित आदेश है। इस प्रविधान के बारे में सभी कर्मचारियों को पुनः याद दिलाने के लिए इसे जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि महिला मरीजों की किसी भी प्रकार की क्लीनिकल जांच, ब्लड सैंपल, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे जांच, ईसीजी, डेंटल जांच या कोई अन्य जांच व मेडिकल प्रोसीजर के समय परिवार के किसी अन्य महिला सदस्य या महिला कर्मचारी का होना आवश्यक है।
महिला सदस्य अनिवार्य
अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी आदेश में बोला गया है कि महिला मरीजों की जांच, ब्लड सैंपल की जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे की जांच, डेंटल जांच या अन्य जांच व मेडिकल प्रोसीजर के दौरान परिवार के किसी महिला सदस्य का होना आवश्यक है। इसके पीछे मकसद यह है कि महिला मरीज की जांच व इलाज सहज तरीके से हो सके।
ये भी पढ़ें- लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं ये 5 आयुर्वेदिक फूड्सDisclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।