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Carry Bag के लिए अलग से पैसे वसूलना पड़ा महंगा, कंज्यूमर कोर्ट का स्टोर को जुर्माना भरने का आदेश

Store fined on Carry Bag charge: दिल्ली जिला उपभोक्ता कोर्ट ने फैशन ब्रांड लाइफस्टाइल स्टोर को पेपर कैरी बैग के लिए 7 रुपये चार्ज करने पर 3,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

Store fined on Carry Bag charge: दिल्ली में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (डीसीडीआरसी) ने एक प्रमुख फैशन ब्रांड लाइफस्टाइल स्टोर को पेपर कैरी बैग के लिए 7 रुपये चार्ज करने पर 3,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस दौरान अध्यक्ष एसएस मल्होत्रा सदस्यों रश्मी बंसल और रवि कुमार के नेतृत्व वाले पैनल ने स्टोर को ग्राहक को मानसिक परेशानी पहुंचाने के लिए जिम्मेदार पाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्टोर को कैरी बैग के लिए भुगतान किए गए 7 रुपये वापस करने के लिए भी कहा।

आदेश न मानने पर 9% देना होगा ब्याज

आयोग ने निर्देश देते हुए कहा कि अगर इस आदेश का पालन समय पर नहीं किया गया तो, स्टोर को सालाना 9% की दर से ब्याज देना होगा। दरअसल, ग्राहक अनमोल मल्होत्रा ​​ने उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि लाइफस्टाइल स्टोर में एक पेपर कैरी बैग के लिए उनसे 7 रुपये लिए जा रहे हैं। यह भी पढ़ें- आप ने राघव चड्ढा को दी राज्यसभा में बड़ी जिम्मेदारी, नियुक्त किया फ्लोर लीडर

मुआवजे के रूप में देने होंगे 3 हजार

आयोग ने कहा कि ओपी (लाइफस्टाइल) कैरी बैग के लिए कोई राशि नहीं ले सकता है, खासकर उन वस्तुओं के लिए जो ओपी स्टोर से ही खरीदी गई हैं और इसके लिए उपभोक्ताओं से कोई भी राशि वसूलना सेवा में कमी के समान है। इसलिए, 28 नवंबर को एक आदेश में ओपी को शिकायतकर्ता को कैरी बैग के लिए दिए गए 7 रुपये वापस करने और मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 3,000 रुपये देने का निर्देश दिया, जिसमें मुकदमेबाजी की लागत भी शामिल है।

कैरी बैग के लिए लिया था अतिरिक्त शुल्क

दरअसल, यह मामला 8 दिसंबर, 2020 का है, जब मल्होत्रा ​​ने स्टोर से 706 रुपये का सामान खरीदा था। इसमें पेपर कैरी बैग के लिए अलग से 7 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिया गया था। इसे लेकर मल्होत्रा ​​ने तर्क दिया कि फैशन ब्रांड ने बिना किसी पूर्व सूचना के यह अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, जिससे उन्हें परेशानी और असुविधा हुई। उन्होंने आगे कहा कि यह अधिनियम सेवा में कमी है और एक अनुचित व्यापार व्यवहार है। वहीं, उपभोक्ता अदालत ने कहा कि ग्राहक को खरीदारी करने से पहले ऐसे अतिरिक्त शुल्कों के बारे में जानने का अधिकार है।  


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