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Cloud Seeding क्या है, जो ठंड में दिला सकता है 2 करोड़ लोगों को राहत

Cloud Seeding  Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रत्येक वर्ष ठंड के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है। प्रत्येक वर्ष नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हालात बद से बदतर हो जाते हैं। इस बीच एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) की चर्चा […]

Cloud Seeding 
Cloud Seeding  Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रत्येक वर्ष ठंड के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है। प्रत्येक वर्ष नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हालात बद से बदतर हो जाते हैं। इस बीच एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) की चर्चा है। यह चर्चा छेड़ी है दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने। दरअसल, आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कन्फेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अधिकारियों के साथ बैठक कर संसाधन और रोजागर के साथ दिल्ली में वायु प्रदूषण पर भी चर्चा की। इसके कारण दिल्ली के 2 करोड़ लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पेश आती हैं। बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पड़ोसी देश चीन और दुबई में क्लाउड सीडिंग तकनीक (कृत्रिम बारिश) का इस्तेमाल होता है। ऐसे में ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण का असर कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की संभावना तलाशी जानी चाहिए।

क्या होती है क्लाउट सीडिंग

क्लाउड का अर्थ होता है बादल और सीडिंग का अर्थ है बुवाई। कुलमिलाकर क्लाउड सीडिंग का अर्थ हुआ बादलों की बुवाई। इस तकनीक के जरिये जरूरत पड़ने पर तय जगह पर बारिश कराई जाती है। क्लाउट सीडिंग को लेकर पूरा प्रयोग आइआइटी कानपुर कर चुका है। इसके बाद अब देश के किसी भी हिस्से में जरूरत पड़ने पर बारिश कराई जा सकती है, हालांकि अब तक कहीं भी बारिश नहीं कराई गई।

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कृत्रिम बारिश की कड़ी में सबसे पहले एयरक्राफ्ट (विमान) के जरिये बादलों में सिल्वर आयोडाइड मिलाया जाता है। इसके बाद स्प्रे के जरिये बादलों के कणों में मिलाया जाता है। दरअसल, सिल्वर आयोडाइड प्राकृतिक बर्फ की तरह होती है। इस प्रक्रिया में बादलों का पानी भारी हो जाता है और फिर बारिश होती है।
इस प्रक्रिया में जब विमान तय ऊंचाई पर पहुंचता है तो कृत्रिम बादलों में बीज बोए जाते हैं। इसके बाद ही बारिश हो जाती है। इस दौरान बारिश की बूंदें अपेक्षाकृत बड़ी होती हैं। कुल मिलाकर इसी प्रक्रिया को क्लाउट सीडिंग कहा जाता है।
दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ और पटना समेत देश के कई और शहर हैं, जहां पर वायु प्रदूषण की स्थिति ठंडे के दौरान अधिक खराब हो जाती है। ऐसे में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) से इसके असर को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही सूखे पर भी काबू पाया जा सकता है।      

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