CAG Report on Delhi Healthcare AAP Government: दिल्ली विधानसभा सत्र की शुरुआत के साथ ही CAG रिपोर्ट पर बहसबाजी तेज हो गई है। CAG रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को लेकर कई बड़े खुलासे किए गए हैं। इसे लेकर सदन में आए दिन हंगामा होता दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने CAG रिपोर्ट को फर्जी करार दे दिया है। इसी बीच CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली के हेल्थ सेक्टर की पोल खोलकर रख दी है।
CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
CAG रिपोर्ट की मानें तो पिछले 6 साल में दिल्ली का हेल्थकेयर सेक्टर बदहाल अवस्था में पहुंच गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में जवाबदेही का अभाव है। कई अस्पतालों में ICU तक नहीं है, वहीं दिल्ली सरकार के द्वारा राजधानी में बनाए गए मोहल्ला क्लीनिक में शौचालय भी उपलब्ध नहीं है। इस रिपोर्ट को आज यानी शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के सदन में पेश किया जा सकता है।
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CAG रिपोर्ट में क्या-क्या?
1. जरूरी सेवाओं का अभाव: CAG रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 27 अस्पतालों में से 14 अस्पतालों में ICU की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक का अभाव है। 8 अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं है, तो 15 अस्पतालों में मुर्दाघर देखने को नहीं मिला है। वहीं 12 अस्पताल बिना एंबुलेंस सर्विस के चल रहे हैं।
2. मोहल्ला क्लीनिक और AYUSH डिस्पेंसरी: CAG रिपोर्ट की मानें तो कई मोहल्ला क्लीनिक्स में शौचालय, पावर बैकअप और चेक-अप टेबलों का अभाव देखने को मिला है। इसके अलावा AYUSH डिस्पेंसरीज में भी कई कमियां नोटिस की गई हैं।
3. स्वास्थ्य कर्मियों की कमी: दिल्ली के कई अस्पतालों में स्टॉफ की कमी दर्ज की गई है। CAG रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 21% नर्स, 38% पैरामैडिक्स और 50-96% डॉक्टर्स का अभाव है।
4. कोरोना फंड का दुरुपयोग: CAG रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल के दौरान दिल्ली सरकार को हेल्थ पर खर्च करने के लिए जो फंड रिलीज किया गया था, उसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हुआ है। 787.91 करोड़ के फंड में से दिल्ली सरकार ने 582.84 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए दिया गया 30.52 करोड़ रुपए भी खर्च नहीं हुए। ड्रग्स और PPE किट के लिए आवंटित 83.14 करोड़ रुपए का इस्तेमाल भी नहीं किया गया।
5. अस्पताल में बेड का अभाव: दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन इनमें से सिर्फ 1,357 (4.24%) बेड ही दिए गए। आलम यह है कि अस्पताल में कई मरीज जमीन पर लेटने को मजबूर हैं।
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