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दिल्ली की विजिलेंस मिनिस्टर आतिशी ने LG को लिखी चिट्ठी; बताया-कुछ ही दिन में कैसे बदल गए अफसरों के तेवर

नई दिल्ली: अभी थोड़े ही दिन पहले संशोधित हुए जीएनसीटीडी कानून का दिल्ली की अफरशाही पर क्या असर पड़ रहा है, इसका अनुमान दिल्ली सरकार की तरफ से उपराज्यपाल (LG) को की गई एक शिकायत से सहज ही लगाया जा सकता है। शुक्रवार को उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली की विजिलेंस और सर्विसेज मिनिस्टर आतिशी […]

नई दिल्ली: अभी थोड़े ही दिन पहले संशोधित हुए जीएनसीटीडी कानून का दिल्ली की अफरशाही पर क्या असर पड़ रहा है, इसका अनुमान दिल्ली सरकार की तरफ से उपराज्यपाल (LG) को की गई एक शिकायत से सहज ही लगाया जा सकता है। शुक्रवार को उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली की विजिलेंस और सर्विसेज मिनिस्टर आतिशी ने ध्यानाकर्षण करने की कोशिश की है कि मुख्य सचिव (Chief Secretary) नरेश कुमार की तरफ से एक निर्वाचित सरकार की तरफ से किस तरह अवहेलना की जा रही है। 'सर्विसेज' पर एग्जीक्यूटिव कंट्रोल के मुद्दे पर असहमति के बाद मंत्री आतिशी ने एलजी विनय सक्सेना से इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए अपील की है।
  • मुख्य सचिव के अनुसार सर्विसेज और विजिलेंस से संबंधित सभी मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण केंद्र सरकार और एलजी के पास होने का नोट लिखा

  • विजिलेंस और सर्विसेज मिनिस्टर आतिशी ने लिखा-दिल्ली सरकार मुख्य सचिव की इस कानूनी व्याख्या से असहमत

बता दें कि 21 मई 2015 की अपनी अधिसूचना में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लैंड, पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और सेवाओं से जुड़े मामलों को उपराज्यपाल के अधिकारक्षेत्र में डाल दिया था। इसके बाद से दिल्ली में सर्विसेज के संबंध में सभी निर्णय उपराज्यपाल ही ले रहे हैं। हालांकि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए साफ किया दिल्ली सरकार के पास 'सर्विसेज' पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं, लेकिन 8 दिन बाद यानि 19 मई को ही जीएनसीटीडी (संशोधन) अध्यादेश 2023 ने सर्विसेज से संबंधित किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने के लिए दिल्ली विधानसभा की शक्तियों को छीन लिया। अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई तो इसके बाद जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2023 लागू हुआ। इसमें विशेष रूप से संशोधन अधिनियम ने जानबूझकर धारा 3 ए को हटा दिया गया। अब दिल्ली की विजिलेंस और सर्विसेज मिनिस्टर आतिशी ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना को एक पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि बीते दिनों नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज ऑथोरिटी और दिल्ली सरकार के विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए एक आदेश दिया था। मुख्य सचिव ने उसे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट 2023 का हवाला दे 10 पन्नों के अपने नोट में 'सर्विसेज और विजिलेंस' से संबंधित सभी मामलों पर प्रभावी कार्यकारी शक्तियां उपराज्यपाल के पास होने की बात लिखी है। ये भी पढ़ें गुजरात यूनिवर्सिटी मानहानि मामले में अरविंद केजरीवाल को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश क्या नई दिल्ली में 3 दिन तक रहेगा ‘मिनी लॉकडाउन’, स्कूलों को लेकर भी एडवाइजरी जारी; परेशानी से बचने के लिए नोट करें गाइडलाइन्स सर्विसेज मंत्री आतिशी ने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली सरकार इस कानूनी व्याख्या से असहमत है। जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2023 सर्विसेज इस संबंध में उपराज्यपाल को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिसका इस्तेमाल एलजी सिर्फ नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस ऑथोरिटी की सिफारिशों पर ही कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी दिल्ली सरकार का समर्थन करते हुए कहा है कि एनसीटीडी के पास सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां है। 'सर्विसेज़' पर एग्जीक्यूटिव कंट्रोल के मुद्दे पर असहमति के बाद, दिल्ली की सर्विसेज़ मंत्री आतिशी ने एलजी विनय सक्सेना को इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए पत्र लिखा है और उनकी राय भी मांगी है। सर्विसेज़ मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239एए के खंड (3) और (4), राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल सभी मामलों के संबंध में पब्लिक ऑर्डर, लैंड और पुलिस को छोड़कर दिल्ली की मंत्रिपरिषद अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है और एलजी उन मामलों को छोड़कर बाकी सभी में मंत्रिपरिषद को केवल सलाह दे सकते हैं।


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