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Manish Verma कौन? जिन्हें नीतीश ने तेजस्वी के मुकाबले उतारा मैदान में, 4 महीने रहेंगे यात्रा पर

JDU Karyakarta Samagam News: जेडीयू में मनीष वर्मा की जिम्मेदारियों को देखें तो ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के जूते वर्मा को पहना दिए हैं। पार्टी राष्ट्रीय महासचिव के साथ मनीष वर्मा को कार्यकर्ताओं के साथ समागम की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

नीतीश कुमार ने कार्यकर्ताओं के साथ समागम की जिम्मेदारी मनीष वर्मा को दी है। फोटोः @ManishKvermaJDU
JDU Karyakarta Samagam News: जुलाई 2024 में मनीष वर्मा ने जेडीयू की सदस्यता ली और दो महीने बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर उन्होंने 2025 के लिए नीतीश कुमार के चुनावी अभियान की कमान संभाल ली है। मनीष वर्मा ने मुजफ्फरपुर से जेडीयू के कार्यकर्ता से संवाद के लिए यात्रा पर हैं। ये यात्रा 20 जनवरी तक चलेगी और इस दौरान हर कार्यक्रम में मनीष वर्मा मुख्य अतिथि होंगे। मनीष वर्मा की इस बिहार यात्रा को तेजस्वी यादव के कार्यकर्ता संवाद यात्रा के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर मनीष वर्मा हैं कौन, जिन्हें नीतीश कुमार ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। जिन पर इतना भरोसा जताया है। मनीष वर्मा आईएएस ऑफिसर रहे हैं और नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। 2000 बैच के ओडिशा काडर के वर्मा ने नीतीश कुमार की सलाह पर 2021 में प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। इसके बाद से ही वे निकट सहयोगी के तौर पर नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे हैं। ये भी पढ़ेंः नीतीश-बीजेपी में फिर टेंशन! बिहार CM को कौन दिखा रहा योगी मॉडल, समझिए पूरा विश्लेषण

21 साल प्रशासनिक सेवा में रहे मनीष

50 वर्षीय मनीष वर्मा का ताल्लुक बिहार के नालंदा जिले से है। नीतीश कुमार का शुरुआती जीवन बख्तियारपुर, नालंदा और कल्याण बिगहा जैसे इलाकों में बीता है। मनीष वर्मा ने बिहार शरीफ के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद पटना से आगे की शिक्षा हासिल की। फिर आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। साल 2000 में यूपीएससी क्रैक करने से पहले मनीष वर्मा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में नौकरी करते थे। वर्मा की पहली पोस्टिंग कालाहांडी में हुई और उसके बाद उन्हें एसडीएम के तौर पर रायगढ़ जिले के गुनूपुर में तैनाती मिली। वर्मा वे प्रशासनिक सेवा के 12 साल ओडिशा में बिताए उसके बाद डेप्यूटेशन पर उन्हें बिहार भेजा गया। पटना और पूर्णिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर सेवा देने के बाद 2016 से 2021 के दौरान वे मुख्यमंत्री के सेक्रेट्री भी रहे। डेप्यूटेशन खत्म होने के बाद वर्मा ने ओडिशा नहीं जाने का फैसला किया और 2021 में वीआरएस ले लिया। ये भी पढ़ेंः नीतीश को घेरने का ‘स्मार्ट’ प्लान, RJD कांग्रेस ने कर दिया ऐलान, बिजली पर मचेगा ‘बवाल’

लोकसभा चुनाव में संभाली पार्टी की कमान

उन्होंने अतिरिक्त सलाह के तौर पर नीतीश कुमार के साथ काम करने का फैसला किया। नीतीश कुमार ने 2 फरवरी 2022 को कैबिनेट मीटिंग में इस नियुक्ति का का ऐलान किया था। जेडीयू ज्वॉइन करने से पहले मनीष वर्मा ने सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया। बीते एक साल से मनीष वर्मा जेडीयू के सांगठनिक कार्यों को देख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी मनीष वर्मा ने बड़ी भूमिका निभाई। जेडीयू की सभी 16 लोकसभा सीटों का दौरा करते हुए मनीष वर्मा ने पार्टी के प्रचार कार्य को संभाला। नतीजा ये रहा है कि जेडीयू ने 16 में से 12 सीटों पर जीत की पताका फराई। मनीष वर्मा कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं। नीतीश कुमार भी इसी जाति से आते हैं। नालंदा जिले के बिहारशरीफ से ताल्लुक रखने वाले मनीष वर्मा को लोकसभा क्षेत्र नालंदा है, जहां से नीतीश कुमार चुनाव लड़ चुके हैं।

नीतीश ने आरसीपी के जूते मनीष को पहनाए

जेडीयू में मनीष वर्मा से पहले आरसीपी सिंह सिविल सेवा छोड़कर आए थे, नीतीश कुमार की सलाह पर ही आरसीपी सिंह भी जेडीयू के सांगठनिक काम को देखते थे। आरसीपी सिंह पार्टी की ओर से राज्यसभा भेजे गए और केंद्र में मंत्री भी बने। हालांकि बाद में नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह की अदावत हो गई और मई 2023 में उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर लिया। यूपी काडर के आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह भी जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव थे, पार्टी के भीतर मनीष वर्मा को बहुत सारे लोग आरसीपी सिंह का विकल्प कहते हैं। कहना गलत न होगा कि जेडीयू में आरसीपी की जिम्मेदारियों को नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा को ट्रांसफर कर दिया। देखना होगा मनीष वर्मा कितनी दूर तक नीतीश कुमार के साथ चल पाते हैं।


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